PATNA : नीतीश कुमार जब 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बने, तो उस समय उनकी एक बड़ी पहल हर सप्ताह अपने आवास पर जनता दरबार लगाने की थी, जिसमें बड़ी संख्या लोग अपनी शिकायत लेकर आते थे और मुख्यमंत्री के दरबार में ही उन मामलों का निपटारा कर दिया जाता था। अब यही व्यवस्था सीएम नीतीश कुमार फिर शुरू कर रहे हैं। आज से उनके पटना आवास पर जनता दरबार लगाया जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने अर्से बाद बैठकर लोग अपनी समस्या और शिकायत करेंगे। मुख्यमंत्री ऑन स्पॉट लोगों की समस्याओं के निष्पादन का निर्देश पदाधिकारियों को देंगे।
कोरोना प्रोटोकॉल का किया जाएगा पालन
कार्यक्रम में कोरोना प्रोटोकाल के पालन की पूरी तैयारी की गयी है। मुख्यमंत्री सचिवालय 4 केजी के परिसर में 200 कुर्सियां लगाई गई हैं। कार्यक्रम की वेबकास्टिंग बेल्ट्रॉन के माध्यम से की जाएगी। इसके अलावा सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग की सोशल मीडिया साइट पर इसे लाइव प्रसारित किया जाएगा।
आज इन विभागों की हुई सुनवाई
12 जुलाई को स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण, पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण, अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण, विज्ञान एवं प्रावैधिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, कला संस्कृति, वित्त, श्रम संसाधन और सामान्य प्रशासन विभाग से जुड़े मामलों पर शिकायतें सुनी जाएंगी। इन महकमों के संबंधित मंत्री भी अफसर भी कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे।
क्यों जरुरत पड़ी जनता दरबार की
आखिर पांच साल बाद सीएम को फिर से जनता दरबार लगाने की आवश्कता क्यों पड़ी, इसके भी अलग मायने हैं। देखा जाए तो पिछले कुछ सालों में विभागों में भ्रष्टाचार बढ़े हैं, जिसको लेकर तत्काल कोई कार्रवाई नहीं होती है। जबकि पहले सीएम का जनता दरबार लगता था तो जिलों के अधिकारियों में भी खौफ बना रहता था कि कब मुख्यमंत्री फोन कर देंगे। लेकिन अब डर कम हो गया है। इसके साथ ही बिहार में सीएम की लोकप्रियता पर भी असर पड़ा है। जहां तेजस्वी यादव के पास हर दिन लोग अपनी शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं, वहीं सीएम नीतीश और प्रदेश की जनता के बीच दूरी लगातार बढ़ती जा रही थी, इस दूरी को कम करने के लिए भी जनता दरबार बेहद कारगर उपाय साबित हो सकता है।