हाय रे बिहार! ऐसे कैसे पटना बनेगी स्मार्ट सिटी, लाखों की लागत से बना बस स्टैंड बन गया घोड़े-गधों का अस्तबल, कोई सुध लेने वाला नहीं

हाय रे बिहार! ऐसे कैसे पटना बनेगी स्मार्ट सिटी, लाखों की लाग

पटना. स्मार्ट सिटी के रूप में पटना को विकसित करने के नाम पर भले ही अब तक करोड़ों रुपए की योजनाएं लागू हुई हैं, लेकिन उन योजनाओं की दुर्गति भी उसी रूप में हुई है. ऐसी ही दुर्गति जक्कनपुर थाना बस स्टॉप की हुई है. लाखों रुपए की लागत से कुछ वर्ष पूर्व बना यह बस स्टैंड अब यात्रियों के लिए नहीं बल्कि घोड़े और गदहे के बसेरा बन गया है. राजधानी पटना में बस से सफर करने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए ऐसे कई बस स्टैंड पूरे शहर में बनाए गए थे. अब इनमें अधिकांश की हालत बदत्तर हो गई है. 

बस स्टैंड के अस्तबल में तब्दील हो जाने का जक्कनपुर थाना बस स्टॉप का मामला लाखों रुपए की योजना की बर्बादी का जीवंत उदाहरण बना हुआ है. यहां पास में ही लगे स्मार्ट सिटी बोर्ड पर लिखा है कि स्मार्ट रोड नेटवर्क विकास के तहत 17.4 किलोमीटर की सड़क का हिस्सा है. इस पर 302 करोड़ रुपए खर्च किए जा जाएंगे. इन विकास योजनाओं की शुरुआती समय मार्च 2019 और पुर्नावधि फरवरी 2021 अंकित है. इसी के तहत जक्कनपुर थाना बस स्टॉप को सजाया-संवारा गया था. 

हालांकि दो साल बाद ही लाखों रुपए खर्च कर बने इस बस स्टैंड पर व्यवस्था की लापरवाही साफ नजर आती है. यहां यात्रियों को खड़ा होना भी दूभर है. दिन भर इसकी स्थिति ऐसी बनी रहती है मानो कोई अस्तबल हो. बस स्टॉपेज गंदगी, बदबू, कूड़े का अंबार और धूल धुसरितमय बना है. आम यात्री शायद ही यहां खड़े होकर बस पकड़ते हों. स्थिति है कि यहां पूरे दिन घोड़े और गधे अपना बसेरा बनाए रहते हैं. आम लोग इन घोड़े-गधों के खौफ से ऐसे बस स्टॉप से दूर रहना ही मुनासिब समझते हैं. 

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वहीं आम लोगों का कहना है कि बस स्टॉप की इस दुर्गति से साफ तौर पर पता चलता है कि कैसे यहां लाखों रुपए की बर्बादी हुई है. ऐसी योजना जिससे आम लोगों को कोई फायदा ही ना हो. स्मार्ट सिटी के नाम पर यह एक तरह का बंदरबाट है. प्रशासनिक लापरवाही से जिस योजना से आम लोगों को लाभ मिलता, वह योजना अस्तबल में तब्दील हो चुकी है. इसके बाद भी कोई इसका सुध लेने वाला नहीं है.  


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