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हाईकोर्ट ने बदला अपने एकलपीठ का फैसला, 1980 के बाद विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में गड़बड़ी की जांच नहीं करेगी सीबीआई

हाईकोर्ट ने बदला अपने एकलपीठ का फैसला, 1980 के बाद विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में गड़बड़ी की जांच नहीं करेगी सीबीआई

PATNA : पटना हाई कोर्ट ने 1980 के बाद राज्य के विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में बरती गई अनियमितताओं के संबंध में दायर अपील याचिकाओं को स्वीकृति देते हुए एकलपीठ द्वारा पारित उस फ़ैसले को पलट दिया, जिसके तहत हाई कोर्ट ने सीबीआई को मामले की जाँच करने का आदेश दिया गया था। चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन एवं जस्टिस हरीश कुमार की खंडपीठ ने कामिनी कुमारी एवं  अन्य द्वारा दायर अपील याचिका पर सुनवाई की।

नहीं मिला कोई प्रमाण

कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पाया कि अपीलकर्ताओं के ख़िलाफ़ प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं का उल्लंघन करते हुए मनमाने ढंग जांच की कार्यवाही शुरू की गई । कोर्ट ने अपने आदेश यह भी जिक्र किया कि अपीलकर्ताओं के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की गई है जो विभिन्न स्कूलों में शिक्षक थे।   ऐसा एक भी उदाहरण नहीं बताया गया है, जब उनकी सेवाएं असंतोषजनक पाई गई हों।कोर्ट ने अपीलकर्ताओं को सेवा से सेवानिवृत्त मानते हुए तत्काल प्रभाव से उनकी पेंशन बहाल करने का आदेश दिया।

कोर्ट ने राज्य सरकार को चार महीने के भीतर याचिकाकर्ताओं को मार्च-2024 से पेंशन का भुगतान करने का आदेश दिया।कोर्ट  उस अवधि के लिए भी बकाया राशि का भुगतान करने का आदेश दिया।  सिंगल बेंच ने रिट याचिका में लगाए गए आदेशों के कारण उन्हें पेंशन से वंचित कर दिया था। 

कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यदि चार महीने के भीतर बकाया का भुगतान नहीं किया गया, तो राज्य को पेंशन बंद होने की तारीख से 5 प्रतिशत की दर से ब्याज की अतिरिक्त देनदारी का सामना करना पड़ेगा।  हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को प्रत्येक अपीलकर्ता को उनके बकाया भुगतान के साथ पाँच हज़ार का हर्जाना देने का भी निर्देश दिया है । 

सालों तक सीबीआई ने नहीं की जांच, कोई केस दर्ज नहीं

अपीलकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता  पुरूषोत्तम कुमार झा ने तर्क देते हुए कहा कि सीबीआई रिपोर्ट कई वर्षों तक ठंडे बस्ते में रखा गया था।इसके कारण कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी। जांच प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किया गया। 

  ये मामला 1980 के बाद राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित है ।हाईकोर्ट के आदेश से इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी । याचिकाकर्ताओं ने सीबीआई जाँच को चुनौती दी थी, जिसके आधार पर कई शिक्षकों को पद से हटा दिया गया था और कई शिक्षकों के पेंशन को रोक दिया गया था।

उन्होंने सीबीआई की जाँच को चुनौती देते हुए कहा था कि सीबीआई ने मनमाने तरीक़े से एक जैसे पदस्थापित शिक्षकों में से कुछ को नियमित एवं  कुछ को अनियमित करार दे दिया था।

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