PATNA : पटना हाईकोर्ट ने तीस हजार रुपये का घूस लेते रंगेहाथ पकड़े गए दारोगा को बड़ी राहत दी है।कोर्ट ने नौकरी से बर्खास्त दारोगा को फिर से नौकरी में बहाल करने का आदेश दिया।जस्टिस विवेक चौधरी ने दारोगा रामपरीक्षण गुप्ता की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। कोर्ट ने शिकायतकर्ता संतोष कुमार के बयान के आधार पर दारोगा को राहत दी।आवेदक के वकील सर्वदेव सिंह ने कोर्ट को बताया कि इस केस में नियुक्त विभागीय जांच अधिकारी ने सात गवाहों की गवाही दर्ज की।सभी गवाहों ने निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की ओर से संचालित ट्रैप से इंकार कर दिया।
यही नहीं गवाहों ने तीस हजार रुपये घूस लेने को भी नकार दिया।यहां तक कि शिकायतकर्ता ने विभागीय कार्रवाई के जांच अधिकारी को दिये अपने बयान में कहा कि दारोगा जी ने कभी रुपया हमसे नहीं मांगा,न ही हमने कोई रुपया दिया। पूर्व में भी मैंने यही बयान दिया था।आज भी वही बयान दे रहा हूँ। वहीं इस ट्रैप केस के अधिकारी ने घूस लेने की बात को सही करार दिया और कहा कि ट्रैप केस के दौरान रुपया के ऊपर लगाये गये केमिकल दारोगा के हाथ पर पाया गया।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आवेदक के खिलाफ बर्खास्तगी आदेश कोअनुचित, अन्यायपूर्ण और मनमाना कहते हुए कहा कि बर्खास्तगी आदेश प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत खिलाफ है।विभागीय जांच अधिकारी ने प्रत्यक्षदर्शियों और गवाहों के साक्ष्य पर भरोसा नहीं किया। यहां तक कि वास्तविक शिकायतकर्ता के गवाही को नजरअंदाज कर आवेदक को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।याचिकाकर्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
कोर्ट ने 25 अप्रैल, 2019 को पारित बर्खास्तगी के आदेश और 9 जनवरी 2020 को पारित अपीलीय प्राधिकारी के आदेश को निरस्त कर दिया।साथ ही आवेदक दारोगा को सभी परिणामी लाभों के साथ पुनः नौकरी में बहाल करने का आदेश दिया।