Rabri Devi Mithila State: राबड़ी देवी, बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष, ने मिथिला को अलग राज्य बनाने की मांग उठाकर बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर, यह कदम भाजपा के बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित करने की रणनीति माना जा रहा है। उपचुनावों में हार से आहत आरजेडी के लिए यह एक नई ऊर्जा का स्रोत हो सकता है।
राबड़ी देवी ने यह मुद्दा तब उठाया जब एनडीए के सदस्य संविधान दिवस के मौके पर मैथिली भाषा में संविधान की प्रति जारी करने को अपनी उपलब्धि बता रहे थे। राबड़ी देवी ने न केवल सदन में बल्कि बाहर भी इस मांग को दोहराया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि यह कोई आकस्मिक बयान नहीं था, बल्कि एक सुनियोजित कदम है।
मिथिला को अलग राज्य बनाने की ऐतिहासिक मांग
मिथिला राज्य की मांग उत्तर बिहार के सात जिलों (मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी और सहरसा) को लेकर लंबे समय से हो रही है।अंग्रेजों के शासनकाल से इस क्षेत्र के लिए अलग प्रशासनिक इकाई की मांग उठती रही है।
राबड़ी देवी ने इस मांग को पुनर्जीवित करते हुए कहा कि एनडीए सरकार को इस कदम का श्रेय लेना चाहिए।
आरजेडी की मिथिला में चिंता: भाजपा का बढ़ता प्रभाव
केंद्र सरकार ने हाल के वर्षों में मिथिलांचल में कई बड़े प्रोजेक्ट दिए हैं, जिससे भाजपा का प्रभाव बढ़ा है, जो निम्नलिखित है।
11500 करोड़ रुपये का केंद्रीय बजट प्रावधान।
दरभंगा में एम्स की स्थापना (1264 करोड़ रुपये की लागत से)।
दरभंगा को एयरपोर्ट की सौगात।
भाजपा की इन पहलों ने 'इंडिया' गठबंधन को चिंता में डाल दिया है।
राबड़ी देवी की मांग इस क्षेत्र में आरजेडी के आधार को मजबूत करने की दिशा में एक रणनीतिक प्रयास मानी जा रही है।
भाजपा की सीमांचल और मिथिलांचल पर बढ़ती पकड़
भाजपा नेता गिरिराज सिंह द्वारा हाल ही में निकाली गई हिंदू स्वाभिमान यात्रा ने सीमांचल और मिथिलांचल में पार्टी का फोकस और मजबूत किया। यह यात्रा विवादों में रही, लेकिन भाजपा ने अपनी स्थिति को और सुदृढ़ किया। दूसरी ओर, सीमांचल के चार जिलों (पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया) को अलग राज्य बनाने की मांग भी भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल द्वारा उठाई गई। हालांकि, सीमांचल को लेकर यह मांग बड़े राजनीतिक विमर्श में जगह नहीं बना सकी।
मिथिलांचल: राजनीतिक समीकरण और विधानसभा सीटें
मिथिलांचल में विधानसभा की 60 सीटें हैं, जो कुल 243 सीटों का लगभग चौथाई हिस्सा हैं।2020 के विधानसभा चुनाव में 40 से अधिक सीटों पर एनडीए ने जीत हासिल की थी। अगर सीमांचल और मिथिलांचल पर भाजपा का दबदबा कायम रहता है, तो 2025 में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की आरजेडी की उम्मीदें धूमिल हो सकती हैं।