दिल्ली- केंद्र सरकार मौजूदा वक्फ एक्ट में संशोधन करने की तैयारी में है. इस सिलसिले में सरकार की ओर से एक नया बिल संसद में पेस किया गया है. जैसे अभी वक्फ बोर्ड के पास अतीत में वक्फ की गई जमीन को अपनी संपत्ति घोषित करने की शक्ति है. लेकिन नए बिल में इस पर रोक लगाई जा सकती है. बता दें कि कानून में बदलाव से किसी भी संपत्ति को वक्फ प्रॉपर्टी घोषित करने का वक्फ बोर्ड का अधिकार खत्म हो जाएगा. वक्फ प्रॉप्रटी को कोर्ट में चैलेंज करने का रास्ता खुलेगा. वक्फ ट्रिब्यूनल के अधिकार कलेक्टर-डिप्टी कलेक्टर को दिए जाएंगे. वक्फ ट्रिब्यूनल के आदेशों के खिलाफ हाईकोर्ट में जाने की छूट होगी. वक्फ प्रॉपर्टी का सर्वे हो सकेगा और दान का फैसला सिर्फ कानूनी मालिक ले पाएगा.
वक्फ बोर्ड ने अपनी ताकत का खासा दुरुपयोग किया है. इसके कुछ उदाहरण से समझा जा सकता है. साल 2022 में तमिलनाडु के त्रिची जिले के एक हिंदू बहुल गांव तिरुचेंथुरई को वक्फ बोर्ड ने अपनी मिल्कियत घोषित कर दिया . बोर्ड ने कहा कि इस गांव की पूरी जमीन वक्फ की है, जबकि उस गांव में सिर्फ 22 मुस्लिम परिवार हैं, जबकि हिंदू आबादी 95 प्रतिशत है. आश्चर्य की बात ये है कि गांव के 1500 साल पुराने मंदिर को भी वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया गया है, जबकि इस्लाम को आए हुए ही अभी 1400 साल हुए हैं. तमिलनाडु का ये मामला वक्फ बोर्ड को मिली ताकत और उसके दुरुपयोग का सबसे बड़ा उदाहरण है.
गुजरात में एक पैटर्न ये भी देखने में आया है कि लोग किसी की भी जमीन पर अवैध कब्जे को कानूनी जामा पहनाने के लिए उसे वक्फ बोर्ड से नोटिफाई करवा लेते हैं. ऐसा ही किस्सा देवभूमि द्वारका जिले के नवादरा गांव में स्थित इस हाजी मस्तान दरगाह का भी है. रेवेन्यू रेकॉर्ड्स पर रामी बेन भीमा और रामसी भाई भीमा के नाम पर दर्ज खेती की जमीन के एक भाग पर 40-50 साल पहले एक छोटी से मजार बना दी गई, जिसका विरोध भी हुआ पर श्रद्धा के नाम पर मामला दब गया। बाद में एक ट्रस्ट खड़ा करके उस पर दरगाह का निर्माण करवाकर उसे वक्फ बोर्ड से नोटिफाई करवा लिया. हैरानी की बात तो ये है कि खेती की इस जमीन को निर्माण से पहले नॉन-एग्रीकल्चरल लैंड में परिवर्तित भी नहीं किया गया. साथ ही रेवेन्यू रेकॉर्ड्स में कहीं पर भी इस जमीन में दरगाह के होने का जिक्र तक नहीं है लेकिन वक्फ ऐक्ट में नोटिफाई होने की वजह से अब इस पर कोई कार्रवाई भी नहीं हो पाई है. अभी एक साल पहले ही नवादरा गांव में प्रशासन ने बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण को ध्वस्त किया था पर उस समय भी पास ही में बनी इस हाजी मस्तान की दरगाह पर कोई कार्रवाई नहीं की गई क्योंकि ये वक्फ द्वारा नोटिफाइड थी. वक्फ ऐक्ट के हिसाब से अब इस जमीन के असली मालिक ये साबित करने में लगे हैं कि जमीन पर वक्फ के अधीन ट्रस्ट का अवैध कब्जा है.
वहीं राजस्थान में मुस्लिम वक्फ बोर्ड द्वारा श्रमिकों के वेतन को कवर करने के लिए राज्य सरकार से वित्तीय सहायता मांगी गई जबकि, वक्फ बोर्ड के पास राज्य भर में 18,000 से अधिक संपत्तियां सूचीबद्ध थीं और इनमें से 7,000 से अधिक संपत्तियों से आय आती थी.
वक्फ एक्ट वक्फ संपत्तियों और धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन के लिए बनाया गया कानून है.वक्फ इस्लाम में उस संपत्ति को कहते हैं जो धार्मिक और चैरिटेबल उद्देश्य से दान की जाती है. इसका इस्तेमाल धार्मिक कामकाज, गरीबों की मदद, शिक्षा आदि के लिए किया जाता है. लेकिन वक्फ बोर्ड पर अकसर आरोप लगता है कि वो दूसरों की संपत्ति को मनमाने ढंग से अपना करार देता है. बोर्ड को यह शक्ति वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 40 में मिली हुई है. इसके अनुसार, राज्य वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित सकती है अगर उसके पास ऐसा मानने की कोई वजह है. ऐसे मामलों में बोर्ड उस संपत्ति के तत्कालीन मालिक को नोटिस भेजता है. अगर इस पर कोई विवाद पैदा होता है, तो बोर्ड की ओर से ही मामले की जांच की जाती है. पहले, केवल नोटिस भेजने भर से ही जमीन पर बोर्ड का हक हो जाता था. लेकिन मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी संपत्ति को वक्फ घोषित करने के लिए केवल अधिसूचना जारी करना काफी नहीं है. इसके लिए वैधानिक प्रक्रिया को पूरा करना आवश्यक है, जिसमें दो सर्वे, विवादों का निपटारा और राज्य सरकार और वक्फ को एक रिपोर्ट जमा करना शामिल है.
वक्फ एक्ट 1995 में 2013 में संशोधन किया गया था, जिसमें जमीन के मालिकाना हक पर वक्फ बोर्ड के फैसला अंतिम को अंतिम माने जाने का प्रावधान है . बोर्ड के फैसले को रद्द या संशोधित करने की ताकत केवल ट्रिब्यूनल के पास है. वक्फ ट्रिब्यूनल में प्रशासनिक अधिकारी होते हैं.
वक्फ एकट के सेक्शन 28 और 29 में वक्फ बोर्ड और उसके प्रमुख को ये शक्ति दी गई है कि वे बोर्ड के फैसलों को अमल में लाने के लिए स्टेट मशीनरी को इस्तेमाल में ला सकती है. धारा 28 में कहा गया है कि किसी जिले का जिला मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट या उप-विभागीय मजिस्ट्रेट वक्फ बोर्ड के निर्णयों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है. यदि आवश्यक हो, तो बोर्ड अपने निर्णयों को लागू करने के लिए ट्रिब्यूनल से निर्देश भी मांग सकता है.
सूत्रों के मुताबिक शुरुआत में वक्फ की पूरे भारत में करीब 52,000 संपत्तियां थीं. 2009 तक यह संख्या 4,00,000 एकड़ भूमि को कवर करते हुए 3,00,000 पंजीकृत संपत्तियों तक पहुंच गई थी. पंजीकृत वक्फ संपत्तियों की संख्या 8,72,292 से अधिक हो गई है, जो 8,00,000 एकड़ से अधिक भूमि पर फैली हुई है. यह केवल 13 वर्षों के भीतर वक्फ भूमि के नाटकीय रूप से दोगुना होने को दर्शाता है.