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कैसे रहे ओवरऑल फिट जो होते है पांच प्रकार के और जिससे रहता है तन और मन दोनों प्रसन्न

कैसे रहे ओवरऑल फिट जो होते है पांच प्रकार के और जिससे रहता है तन और मन दोनों प्रसन्न

DESK: कहते हैं कि इंसान का दिल-दिमाग दुरुस्त हो तो वह जिंदगी की हर जंग जीत सकता है. यह कहना पूरी तरह से सही भी है क्योंकि अगर व्यक्ति स्वस्थ रहेगा तभी सुखी जीवन जी सकेगा। इंसान काे जीवन का सबसे बड़ा धन उसका स्वास्थ्य ही है। अगर हमारा तन और मन दोनों स्वस्थ रहे तो हम दुनिया के सबसे खुशनसीब इन्सान है, और हम पर बुढ़ापे या अन्य बीमारी का भी जल्दी प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। तो आइए जानते हैं कि स्वस्थ रहने के लिए किन मानकों का खास ध्यान रखना चाहिए।

  फिजिकल वैलनेस

हर शारीरिक काम जो हम करते हैं, उसमें ऊर्जा खर्च होती है। यह ऊर्जा निरंतर बिना रुकावट और थकावट के हमें मिलती रहे तो यह फिजिकल वेलनेस है। यानी हमारा शरीर स्वस्थ और सुदृढ़ होना चाहिए। फिजिकल वेलनेस के लिए जरुरी है  पाने के  नियमित एक्सरसाइज और संतुलित आहार। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, बच्चों को हर सप्ताह कम से कम 60 मिनट मध्यम और तीन दिन जोरदार एक्सरसाइज करनी चाहिए। 18 वर्ष से अधिक के लोगों को सप्ताह में 150-300 मिनट मध्यम और 75-150 मिनट तीव्र कसरत करना चाहिए। इससे शरीर गठीला और मजबूत होता है। इसके अलावा सभी को प्रतिदिन 2200 से 3000 कैलोरी की जरूरत होती है। इसका 50 फीसदी हिस्सा कार्ब्स से आना चाहिए। जैसे- साबुत अनाज, फल, सब्जी, दूध। 25 फीसदी प्रोटीन से आना चाहिए। जैसे- मीट, सीफूड, अंडे, नट्स। 25 फीसदी फैट से आना चाहिए। याद रहे बैलेंस डाइट हमें एनर्जी देता है |

इमोशनल वेलनेस

विचार, भावनाएं और चुनौतियों से निपटने की क्षमता और भावनात्मक चिंताओं पर विजय पाना इमोशनल हेल्थ है। इसके लिए ये तीन उपाय करें- रोज़ 10 मिनट मेडिटेशन करें, इससे दर्द सहने की क्षमता बढ़ती है और तनाव घटता है। साथ ही रोजाना 30 मिनट धीमा और शांत संगीत सुनें, इससे मन शांत रहता है।

सोशल वेलनेस

दोस्त, परिवार, जान-पहचान के लोगों से अच्छे संबंध रखना और खुद को और साथियों को चिंता मुक्त करना सोशल वेलनेस है। इसे पाने के दो अहम तरीके हैं, पहला दोस्तों से मिलें, उन्हें वक्त दें। अकेलेपन का शिकार लोगों में डिमेंशिया का खतरा दोगुना होता है। इसके अलावा खेल को रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल करें। खेलने से कल्पनाशीलता, रचनात्मकता बेहतर होती है। समस्याओं के समाधान की क्षमता भी बेहतर होती जाती है। जब आप खेलते हैं तो आपकी बॉडी में इंर्डोफिन हार्मोन रिलीज होता है। इससे ना सिर्फ खुशी मिलती है, बल्कि दर्द का एहसास भी कम हो जाता है।

अध्यात्मिक  वेलनेस

उद्देश्यपूर्ण जीवन जीना, अपनी क्षमताओं और मान्यता को पहचानना आध्यात्मिक सेहत है। यह शरीर व मन के बीच संतुलन बनाती है।इसके लिए अपने आसपास के लोगों की मदद करें, जब भी वक्त मिले प्रार्थना करें। इससे शरीर में अच्छे रसायनों का संचार होता है, जिससे हम बेहतर महसूस करने लगते हैं।

इंटलेक्चुअल वेलनेस

नए विचारों को समझने की कोशिश करना, खुद को चुनौती देना, नई चीज देखना, शोध करना इंटलेक्चुअल सेहत कहलाता है। इससे मस्तिष्क में नए न्यूरॉन कनेक्शन बनते हैं। इसे पाने के रोजाना पढ़ने की आदत डालें। रोज 15 से 20 मिनट कुछ पढ़ने से दिमाग में न्यूरॉन्स के कनेक्शन मजबूत होते हैं। पढ़ने से दिमाग में सक्रियता बढ़ती है। पढ़ने से नींद अच्छी आती है, बशर्ते स्क्रीन पर नहीं कागज पर पढ़ें। इसके अलावा समय मिलने पर सुडोकू, क्रॉसवर्ड जैसी पहेलियों को सुलझाने की कोशिश करें। जो लोग नियमित रूप से ऐसा करते हैं, उनमें अल्जाइमर और डिमेंशिया का खतरा कम हो जाता है। यह ब्रेन डिजीज के खतरे को  कम करता है।

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