AURANGABAD : परिवहन विभाग के नियम सिर्फ और सिर्फ आम लोगों के लिए हो कर रह गए हैं। नियम तोड़ने पर आम लोग सजा भी पा रहे है और जुर्माना भी भर रहे है। लेकिन औरंगाबाद जिले में इन नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। नियमों की धज्जियां वही उड़ा रहे हैं जिनपर परिवहन नियमों का निर्वहन करने की जिम्मेवारी है। औरंगाबाद जिला समाहरणालय परिसर में प्रतिदिन दर्जनों प्रशासनिक अधिकारियों की वाहने लगती है। सभी वाहन निजी है लेकिन उनका कमर्शियल उपयोग हो रहा है। लेकिन किसी भी वाहन में कमर्शियल नंबर नहीं है।
यानी इन अधिकारियों के द्वारा प्रति माह सरकार के परिवहन विभाग को लाखों रुपए का चूना लगाया जा रहा है। शहर के प्रसिद्ध आरटीआई एक्टिविस्ट बबुआ सिंह का कहना है कि इस मामले में उनके द्वारा वर्ष 2016 से ही सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी जा रही है। इतना ही नहीं इस मामले में जिले के दो दो जिलाधिकारी का एवं लोक शिकायत न्यायालय से भी आदेश निर्गत हुए है कि सरकारी दफ्तरों में उपयोग में आने वाली गाड़ियां कमर्शियल टैक्स का भुगतान करे और कमर्शियल नंबर का उपयोग करे। लेकिन कुछ कारवाई हुई और वह आदेश अब फाइलों की शोभा बढ़ा रही है।
इस संबंध में जब जिला परिवहन पदाधिकारी बालमुकुंद प्रसाद से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सभी विभाग को पत्र भेजा गया है और निजी वाहन जिनका कमर्शियल उपयोग हो रहा है। उन वाहनों में व्यवसायिक नंबर प्लेट का उपयोग करते हुए व्यावसायिक कर चुकाई जाए। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि शीघ्र ही सभी व्यवस्था सुधार जाएंगी।
औरंगाबाद से दीननाथ मौआर की रिपोर्ट