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प्रेम संबंधों में नाकामी पर एक के सुसाइड करने के मामले में दूसरे को नहीं बता सकते जिम्मेदार, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

प्रेम संबंधों में नाकामी पर एक के सुसाइड करने के मामले में दूसरे को नहीं बता सकते जिम्मेदार, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

NEW DELHI : प्रेम संबंधों में अक्सर नाकाम रहने पर युवक या युवती द्वारा आत्महत्या करने की घटनाएं सामने आती रहती है। जिसमें ज्यादातर मामलों में दूसरे पक्ष को इसके लिए जिम्मेदार मान लिया है। अब दिल्ली हाईकोर्ट ने ऐसे मामले में अहल फैसला सुनाया है। एक मामले की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने कहा है कि अगर प्रेम असफल होने पर युवक आत्महत्या करता है, तो महिला को इसका दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। मृतक ने सुसाइड नोट भी छोड़ा था, जिसमे महिला के साथ-साथ एक अन्य व्यक्ति को भी जिम्मेदार बताया गया था।

जस्टिस अमित महाजन ने की अहम टिप्पणी

 रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट में सुनवाई कर रहे जस्टिस अमित महाजन ने कहा कि अगर कोई कमजोर मानसिकता वाला व्यक्ति ऐसा कदम उठाता है, तो उसके लिए किसी अन्य व्यक्ति को दोषी नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा, 'अगर एक प्रेमी प्यार के असफल होने पर आत्महत्या करता है, एक छात्र परीक्षा में खराब प्रदर्शन के लिए आत्महत्या करता है, केस खारिज होने के बाद अगर कोई क्लाइंट सुसाइड करता है, तो महिला, पर्यवेक्षक, वकील को आत्महत्या के लिए उकसाने का जिम्मेदार नहीं मान सकते।'

सुसासड के लिए कमजोर मानसिकता

उन्होंने कहा, 'कमजोर मानसिकता वाले व्यक्ति की तरफ से लिए गए फैसले के लिए दूसरे व्यक्ति को आत्महत्या के लिए उकसाने का जिम्मेदार नहीं बता सकते।' अदालत ने महिला और एक अन्य पुरुष को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में अग्रिम जमानत दे दी है।

युवती के दूसरे से संबंध से था परेशान

मृतक के पिता की तरफ से की गई शिकायत के आधार पर FIR दर्ज की गई थी। आवेदक महिला सुसाइड करने वाले शख्स के साथ प्रेम संबंध में थी। जबकि, दूसरा आवेदक उनका कॉमन फ्रैंड था। आरोप थे कि आवेदकों ने मृतक को यह कहकर उकसाया था कि उन्होंने शारीरिक संबंध बनाए हैं और जल्दी एक-दूसरे से शादी करने वाले हैं।

कोर्ट ने कहा WhatsApp चैट्स से प्रथम द्रष्टया पता चलता है कि मृतक संवेदनशील स्वभाव का था। आगे कहा कि जब भी महिला बात करने से मना करती थी, तब वह उसे आत्महत्या की धमकी देकर डराता था। कोर्ट ने यह भी कहा कि कथित सुसाइड नोट के तथ्य को ट्रायल के दौरान देखा जाएगा। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि आवेदकों की तरफ से कोई उकसावा किया गया था या नहीं


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