बिहार के सारण जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। तरैया थाना क्षेत्र के माधोपुर बड़ा गांव में 22 दिन की एक नवजात बच्ची का शव घर के अंदर अनाज के डिब्बे में पाया गया। इस घटना का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि इस बच्ची की हत्या किसी और ने नहीं, बल्कि उसकी अपनी मां ने की थी। घटना का खुलासा होने के बाद गांव में हड़कंप मच गया है, और हर किसी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर एक मां अपनी ही बेटी के साथ इतनी बेरहमी कैसे कर सकती है?
बच्ची की मां, नीरू देवी, को गिरफ्तार कर लिया गया है। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि बच्ची का जन्म सात महीने में ही हो गया था, और वह पूरी तरह से स्वस्थ नहीं थी। बच्ची लगातार बीमार रह रही थी, और इसी वजह से नीरू देवी बेहद परेशान थी। बीमारी से तंग आकर, नीरू देवी ने एक खौफनाक कदम उठाया। उसने बच्ची का गला एक रूमाल से दबाकर उसकी हत्या कर दी और फिर शव को घर के भीतर ही एक चावल के डिब्बे में छिपा दिया।
हत्या के बाद नीरू देवी ने पुलिस को गुमराह करने का भी प्रयास किया। उसने तरैया थाने में आकर शिकायत दर्ज कराई कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने उसकी नवजात बेटी को उठा लिया है और भाग गया है। इस झूठी शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। हालांकि, पुलिस की छानबीन में कई संदिग्ध बातें सामने आईं, जिसके बाद नीरू देवी से गहन पूछताछ की गई। पूछताछ के दौरान उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। महिला ने स्वीकार किया कि उसने ही अपनी बेटी की गला दबाकर हत्या की और शव को घर में छिपा दिया।
इस सनसनीखेज घटना के बाद माधोपुर बड़ा गांव और आसपास के इलाकों में हड़कंप मचा हुआ है। लोग इस अमानवीय घटना को लेकर स्तब्ध हैं और कई लोग यह समझने में असमर्थ हैं कि कोई मां अपनी ही नवजात बेटी के साथ इतनी बेरहमी से कैसे पेश आ सकती है। गांव के लोग अब भी इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि नीरू देवी ने ऐसा खौफनाक कदम क्यों उठाया। कुछ लोगों का मानना है कि बच्ची की लगातार बिगड़ती हालत ने उसे मानसिक रूप से तोड़ दिया होगा, लेकिन फिर भी यह कदम किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता।
पुलिस ने नीरू देवी को उसके स्वीकारोक्ति बयान के आधार पर गिरफ्तार कर लिया है, और उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। थानाध्यक्ष आशुतोष कुमार सिंह ने बताया कि आगे की जांच जारी है और बच्ची के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। यह घटना एक बार फिर समाज में जागरूकता और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करती है। जब एक मां, जो अपने बच्चे की सबसे बड़ी रक्षक होती है, ऐसे खौफनाक कदम उठाने पर मजबूर हो जाती है, तो यह हमारे समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है।