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लालू के महाजंगलराज के कलंक को मिटाने के बजाय माथे पर टीका लगा रहे सीएम नीतीश : सम्राट चौधरी

लालू के महाजंगलराज के कलंक को मिटाने के बजाय माथे पर टीका लगा रहे सीएम नीतीश : सम्राट चौधरी

PATNA : बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि पहले राजद और कांग्रेस अति पिछड़ों का अपमान करते और धोखा देते थे। अब नीतीश कुमार इस राह पर दौड़ लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जब भाजपा के साथ थे। तब राजद की अराजता, अपराध और भयपूर्ण माहौल के कलंक को मिटा रहे थे। आज उसी भ्रष्टाचारी, सजायाफ्ता, पंजीकृत अपराधी की गोद में बैठकर उनके कलंक का टिका अपने माथे पर लगाकर पूरे बिहार को डरा रहे हैं। जंगल राज से त्राहिमाम जनता ने राज्य में अमन, चैन, खुशहाली के लिए भाजपा की नीव पर टिकी जेडीयू को सता की चाभी सौपी। लेकिन नीतीश कुमार ने बिहार की जनता के आखों में मीरची झोंकने का काम किया। दलितों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों व महिला विरोधियों के चरणों में नतस्तक हो गए।

चौधरी ने कहा कि लालू परिवार आरक्षण विरोधी हैं। इसके कई जीता जागता उदाहरण है। राजद ने 2001 में पंचायत व 2002 में नगर निकाय का चुनाव पिछड़ों, अतिपिछड़ों को आरक्षण दिए बिना करा उनकी हकमारी की। आज उसी राजद के युवराज को नीतीश कुमार बिहार का ताज सौंपने के लिए बेचैन हैं। जिस राजद ने केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा गरीब सवर्णो के आरक्षण का संसद में विरोध किया। उसके पैर में पड़ने में नीतीश कुमार को जरा भी संकोच नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और राजद ने हमेशा दलितों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों को अपना वोटबैंक बना कर रखा। लेकिन कभी उनका भला नहीं किया। उससे दोस्ती करने में नीतीश कुमार को शर्म भी नहीं आई। आज लालू, तेजस्वी और नीतीश कुमार को आरक्षण पर बोलने का कोई नैतिक हक नहीं है। ये दोनों बिहार के ऐसे नवसामंत हैं। जिन्होंने गरीबों को झांसा देकर पिछले 33 वर्षों से सत्ता की मलाई खाने और अपने वोटरों को धोखा देने का काम किया है।

चौधरी ने कहा कि बिहार में जब 2005 में एनडीए की सरकार बनी। तब जाकर स्थानीय निकाय के चुनाव में अति पिछड़ों को 20 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। जबकि राजद-कांग्रेस ने तो 2002 में आरक्षण का प्रावधान किए बिना ही पंचायत का चुनाव करा दिया था। आज 1800 से ज्यादा अतिपिछड़ा समाज के मुखिया चुन कर आये हैं और अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं। राजद-कांग्रेस ने तो 27 वर्षों तक पंचायत का चुनाव नहीं करा कर अतिपिछड़ों की हकमारी किया। 2015 के विधान सभा चुनाव में 42 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस ने एक भी अति पिछड़ा को टिकट नहीं दिया। जबकि भाजपा ने 25 सीटें अतिपिछड़ों को दिया। जिनमें से 12 जीत कर आए। 2017 में जब भाजपा-जदयू की सरकार बनी तो भाजपा कोटे से 4 अतिपिछड़ों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया।

वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में अति पिछड़ा समाज से एनडीए के 7 सांसद निर्वाचित हुए। राजद ने विस चुनाव में खानापूर्ति के लिए अति पिछड़ा समाज के मात्र 5 लोगों को टिकट दिया। इसी का परिणाम है कि लालू प्रसाद जिन अतिपिछड़ों को कभी अपना ‘जिन्न’ बताया करते थे। वह आज राजद से पूरी तरह से अलग हो कर भाजपा के साथ आ चुका है।

वंदना शर्मा की रिपोर्ट 

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