BPSC परीक्षा पेपर लीक मामले की जांच शुरू, EOU SP के नेतृत्व में बनाई गई SIT, जानें अब कब हो सकती है दोबारा परीक्षा

PATNA : बीपीएससी जैसी परीक्षा के सफल आयोजन करने में नाकाम होने के कारण बिहार सरकार की देश भर में बदनामी हुई है। हालांकि पेपर लीक होने के बाद परीक्षा को रद्द कर दिया गया है। लेकिन इसके कारण छात्रों को हुई मानसिक परेशानी के साथ ही आयोग को भी करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा है। अब इस पूरे मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी गई है। बीपीएससी परीक्षा के पेपर लीक की जांच के लिए एडीजी इओयू नैयर हसनैन खां ने 13 पुलिस अधिकारियों की टीम बनाई है। एसपी इओयू सुशील कुमार इस एसआईटी का इंचार्ज बनाया गया है। इस टीम में 6 डीएसपी और 6 इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों को रखा गया है। एडीजी खुद जांच की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।

तीन घंटे में दिया रिपोर्ट

BPSC के संयुक्त सचिव व परीक्षा नियंत्रक अमरेंद्र कुमार ने बताया कि उन्हें पेपर लीक होने की जानकारी टीवी चैनलों द्वारा प्रसारित खबर से हुई. इस मामले में आयोग के अध्यक्ष आरके महाजन ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था. इसके बाद जांच कमेटी ने कुछ घंटों के भीतर ही अपनी रिपोर्ट आयोग के अध्यक्ष को सौंप दी. जिसके बाद परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया गया.


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आरा से सबसे पहले आई पेपर लीक की खबर

बीपीएससी पीटी के प्रश्न पत्र लीक होने के मामले के तार आरा स्थित एक केंद्र से जुड़ रहे हैं। यहां सेंटर पर कुछ अभ्यर्थियों को पहले ही प्रश्नपत्र मिल गए थे उन लोगों की नीचे के दो अलग कमरों में बिठाया गया था। वहीं जब परीक्षा का समय शुरू हो गया और छात्रों को कुछ मिनट तक प्रश्न पत्र नहीं मिला तब परीक्षार्थियों ने हंगामा करना शुरू कर दिया. जहां पहले से कुछ परीक्षार्थियों को प्रश्न पत्र दे दिया गया था। और वो प्रश्न पत्र हल कर रहे थे इसके साथ ही उनके पास मोबाइल भी था। 

देर तक जब अन्य अभ्यर्थियों को पेपर नहीं मिला तो कई उस कमरे में जबरन घुसे और प्रश्नपत्र छीन कर उसे वायरल कर दिया। पेपर लीक आउट मामले की जांच के लिए गठित विशेष टीम आरा सेंटर पर हुई इस घटना पर फोकस कर जांच में जुटी है।

बड़े गिरोह के शामिल होने की आशंका

 बीपीएससी जैसी परीक्षा में सेंध लगाना किसी छोटे गिरोह के लिए संभव नहीं हैं। माना जा रहा है कि पेपर लीक होने के पीछे संगठित गिरोह का हाथ हो सकता है। आरा के सेंटर पर जिस तरह से पूरा घटनाक्रम सामने आया है, उससे यह आशंका प्रबल हो गई है। कुछ अभ्यर्थियों को प्रश्न पत्र पहले कैसे मिला और सभी एक कमरे में कैसे पहुंचे इसकी तहकीकात भी शुरू कर दी गई है। जानकारों का कहना है कि इसके पीछे बड़ी साजिश हो सकती है। 

पांच लाख अभ्यर्थियों को हुई परेशानी
 पीटी रद्द होने के बाद पांच लाख छात्रों को झटका लगा है। खासकर दूरदराज से परीक्षा देने आए छात्रों को आर्थिक रूप से तो नुकसान हुआ ही, मानसिक तौर पर भी वे परेशान हुए। कुछ छात्रों ने कहा कि इस तरह से बिहार की बदनामी हो रही है।इधर, प्रश्नपत्र वायरल होने की सूचना के बाद परीक्षा रद्द होने की आशंका के बीच घर लौटते समय छात्र रास्ते में परीक्षा से संबंधित पल-पल की जानकारी विभिन्न माध्यमों से लेते रहे।

अब तीन महीने बाद ही परीक्षा संभव

अब पांच लाख छात्रों को परीक्षा के लिए इंतजार करना पड़ेगा। परीक्षा में कम से कम तीन माह का समय लगेगा। अभी पूरी प्रक्रिया की जांच होगी। जांच के बाद ही आयोग आगे की परीक्षा के लिए तिथि जारी करेगा। बता दें कल हुई परीक्षा से पहले  भी चार बार इसकी तिथि बढ़ाई जा चुकी है।