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यही सुशासन है ? अब CM के विभाग में अटक गई फाइल, परिवहन विभाग से निकला तो GAD में डंप हो गई 'भ्रष्टाचार' वाली फाइल, जिन्हें निलंबित होना था वे ठाट से कर रहे नौकरी

यही सुशासन है ? अब CM के विभाग में अटक गई फाइल, परिवहन विभाग से निकला तो GAD में डंप हो गई 'भ्रष्टाचार' वाली फाइल, जिन्हें निलंबित होना था वे ठाट से कर रहे नौकरी

PATNA: बिहार में सिस्टम पूरी तरह से बेपटरी हो चुकी है। सुशासन की सरकार में पिछले साल पटना डीटीओ दफ्तर में करोड़ों के घोटाले का खुलासा हुआ था।  न्यूज4नेशन ने 50 करोड़ से अधिक के घोटाले की पोल खोली तो आनन-फानन में 19 सितंबर 2020 को जांच टीम गठित की गई थी। पटना के डीटीओ ऑफिस में करोड़ों के घोटाले का खुलासे के 10 महीने बाद मुख्य साजिशकर्ता बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और वर्तमान में जहानाबाद के डीटीओ अजय कुमार ठाकुर को सस्पेंड करने की सिफारिश की गई. दोषी अफसर को निलंबित करने वाली फाइल लगभग एक महीने से सामान्य प्रशासन विभाग में पड़ी है। लेकिन अब तक निलंबन का आदेश जारी नहीं हुआ। जांच रिपोर्ट आने के बाद मंत्री ने डीटीओ को निलंबित करते हुए अनुशासनिक कार्रवाई की सिफारिश की थी। GAD में पत्र 19 जुलाई को गया अब 18 अगस्त आ गया, लेकिन उस सिफारिश पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इधर आदेश जारी नहीं होने से भ्रष्टाचार के आरोपी अफसर आज भी ठाट से नौकरी कर रहे। 

महीने भर बाद भी करोड़ों का चूना लगाने वाले अफसर पर कोई एक्शन नहीं

 मार्च 2021 में पटना डीटीओ में हुई करोड़ों की गड़बड़ी मामले में आरोपी लिपिक को सस्पेंड किया गया था। जुलाई महीने में ही परिवहन मंत्री शीला कुमारी ने पटना के तत्कालीन व वर्तमान में जहानाबाद में डीटीओ के पद पर पदस्थापित अजय ठाकुर  को सस्पेंड करने की सिफारिश की. परिवहन मंत्री के अनुमोदन के बाद आरोपी अधिकारी के निलंबन की फाइल 19 जुलाई को सामान्य प्रशासन विभाग पहुंचा। पंद्रह दिन से अधिक बीत गये लेकिन दोषी अधिकारी को निलंबित करने वाली फाइल पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। मतलब घोटाला उजागर हुए साल भर बीत गये.इतने दिनों तक जांच और कार्रवाई में ही मामला उलझा रहा है। जब परिवहन विभाग ने जांच कर पूरी रिपोर्ट और मंत्री की अनुशंसा के बाद निलंबन करने का पत्र सामान्य प्रशासन विभाग भेज दिया। फिर भी उस अधिकारी पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अब देखना होगा सामान्य प्रशासन विभाग कब तक निलंबन का आदेश जारी करता है। 

परिवहन आयुक्त ने लिपिक को किया था सस्पेंड

परिवहन विभाग ने पटना डीटीओ ऑफिस के तत्कालीन लिपिक अमित कुमार गौतम को 20 मार्च को निलंबित किया था। बिहार के परिवहन आयुक्त ने आदेश में कहा गया था कि पटना डीटीओ ऑफिस का तत्कालीन लिपिक अमित कुमार गौतम गलत तरीके से वाहनों को बैकलॉग एंट्री एवं निबंधन साथ ही साक्ष्य छुपाने के लिए वाहनों का ब्लैक लिस्ट करता था .गौतम के गलत ढंग से किए गए निबंधन के कारण सरकारी राजस्व की भारी क्षति हुई है. इनके विरुद्ध लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया प्रमाणित होते हैं. प्रमाणित आरोपों के लिए जांच समिति ने इन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए विभागीय कार्यवाही की अनुशंसा की थी। उक्त आलोक में अमित कुमार गौतम लिपिक जिला परिवहन कार्यालय भोजपुर को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है. इसके विरुद्ध  अलग से आरोप पत्र गठित कर विभागीय कार्यवाही का संचालन किया जाएगा. परिवहन आयुक्त ने अपने आदेश में कहा था कि पटना के डीटीओ ने 17 सितंबर 2020 को प्रतिवेदन भेजा था. जिसके बाद 19 सितंबर 2020 को जांच के लिए कमेटी की गठित की गई. 

17 सितंबर 2020 को हुआ था खुलासा

पटना के डीटीओ ने पत्रांक-3318 से 17 सितंबर 2020 को करोड़ों के घोटाले से पर्दा उठाया था । अधिकारी ने परिवहन कमिश्नर सीमा त्रिपाठी को इसके बारे में सबूत के साथ तीन पन्नों की रिपोर्ट दी थी। 

जानिए पूरा मामला

पटना के तत्कालीन डीटीओ-कर्मी की मिलीभगत से वाहन BS-4 वाहन का बिना सरकारी राजस्व के ही निबंधन और चोरी की गाड़ी का भी निबंधन किया गया था. इस कारनामें से सरकार को पचास करोड़ से अधिक के राजस्व की क्षति हुई थी। इसके साथ ही पटना के तत्कालीन डीटीओ अजय कुमार ठाकुर और कर्मी अमित कुमार गौतम पर कई अन्य आरोप लगे थे। वर्तमान डीटीओ ने 17 सितंबर 2020 को  अपनी रिपोर्ट परिवहन कमिश्नर को भेज दिया था,जिसमें पूरे मामले की जांच कराने और जिम्मेदार अधिकारी और कर्मी पर कार्रवाई करने का आग्रह किया गया था। डीटीओ के घोटाले वाले पत्र के बाद परिवहन कमिश्नर ने जांच के लिए कमेटी बनाई थी।

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