इजरायल और फिलिस्तीन के बीच इस संघर्ष की शुरुआत प्रथम विश्व युद्ध के समय हुई थी. ओटोमन यानी उस्मानी साम्राज्य की हार के बाद ब्रिटेन ने फिलिस्तीन पर कब्जा हासिल कर लिया था. फिलिस्तीन में यहूदी, अल्पसंख्यक थे, जबकि अरब बहुसंख्यक थे. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ब्रिटेन को फिलिस्तीन में यहूदी मदरलैंड बनाने का काम सौंपा था. ब्रिटिश शासन ने बाल्फोर घोषणा की जिसमें फिलिस्तीन में 'यहूदियों के लिए एक अलग राज्य' बनाने के लिए अपना समर्थन देने का संकेत दिया. इसमें कहा गया, 'ऐसा कुछ भी नहीं किया जाएगा जो यहां मौजूद गैर-यहूदी समुदायों के नागरिक और धार्मिक अधिकारों के खिलाफ हो'. 1922 से 1947 तक पूर्वी और मध्य यूरोप से यहूदियों का पलायन बढ़ गया क्योंकि युद्ध और फिर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों को उत्पीड़न और अत्याचारों का सामना करना पड़ा. फिलिस्तीन के लोग शुरू से ही यहूदियों को बसाने के खिलाफ थे. 1929 में हेब्रोन नरसंहार में बहुत सारे यहूदी मारे गए थे, ये दंगा यहूदियों के बसने के खिलाफ हुए फिलिस्तीनी दंगों का एक हिस्सा था. फिलिस्तीन में जैसे-जैसे यहूदी बढ़ते गए कई फिलिस्तीनी विस्थापित होते गए और यहीं से दोनों के बीच हिंसा और संघर्ष की शुरुआत हुई. 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को यहूदी और अरबों के लिए दो अलग-अलग राष्ट्र में बांटने का प्रस्ताव पास किया. यहूदी नेतृत्व ने इस पर हामी भरी, लेकिन अरब पक्ष ने इसे अस्वीकार कर दिया.
इजरायल और फिलिस्तीन के बीच इस जंग का खूनी इतिहास नया नहीं, काफी पुराना है. 7 अक्टूबर 2023 की सुबह जब दुनिया का ज्यादातर हिस्सा नींद में सो रहा था, ठीक इसी वक्त फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास ने अचानक इजरायल के अनगिनत ठिकानों पर अटैक कर दिया. इस अटैक में पांच हजार से लेकर सात हजार तक मिसाइलें दागी गईं. यह इजरायल पर एक बेहद वीभत्स हमला था. हमले अब तक इजरायल के 1200 लोगों की मौत हो गई. इजरायल ने ‘ऑपरेशन आयरन सॉर्ड’ बनाया और हमास पर काउंटर अटैक किया, गाजा पट्टी में घुसकर लगातार आतंकी मारे जा रहे हैं. इजरायल ने गाजा को तकरीबन तबाह कर दिया है. इजरायल और फिलिस्तीन की जिस जंग में हजारों जानें अब तक जा चुकी हैं, उसके पीछे 35 एकड़ जमीन का टुकड़ा है। इस जमीन के लिए ही कई सालों से दोनों के बीच जंग जारी है.
येरुशलम में 35 एकड़ जमीन के टुकड़े पर एक ऐसी जगह है, जिसका ताल्लुक तीन-तीन धर्मों से है। इस जगह को यहूदी हर-हवाइयत या फिर टेंपल माउंट कहते हैं। जबकि मुस्लिम इसे हरम-अल-शरीफ बुलाते हैं। पहले इस पर फिलिस्तीन का कब्जा था। बाद में इजरायल ने इसे अपने कब्जे में लिया। अब 35 एकड़ जमीन पर बसे टेंपल माउंट या हरम अल शरीफ ना तो इजरायल के कब्जे में है और ना ही फिलिस्तीन के। यह जगह संयुक्त राष्ट्र के अधीन है.
मुस्लिम मान्यताओं के मुताबिक मक्का और मदीना के बाद हरम-अल-शरीफ उनके लिए तीसरी सबसे पाक जगह है. मुस्लिम धर्म ग्रंथ कुरान के मुताबिक आखिरी पैगंबर मोहम्मद मक्का से उड़ते हुए घोड़े पर सवार होकर हरम अल शरीफ पहुंचे थे और यहीं से वो जन्नत गए. इसी मान्यता के मुताबिक तब येरुशलम में मौजूद उसी हरम अल शरीफ पर एक मस्जिद बनी थी. जिसका नाम अल अक्सा मस्जिद है. मान्यता है कि ये मस्जिद ठीक उसी जगह पर बनी है, जहां येरुशलम पहुंचने के बाद पैगंबर मोहम्मद ने अपने पांव रखे थे. अल अक्सा मस्जिद के करीब ही एक सुनहरे गुंबद वाली इमारत है. इसे डोम ऑफ द रॉक कहा जाता है. मुस्लिम मान्यता के मुताबिक ये वही जगह है, जहां से पैगंबर मोहम्मद जन्नत गए थे. यही वजह है कि अल अक्सा मस्जिद और डोम ऑफ द रॉक को मुसलमान पवित्र मानते हैं.
यहूदियों की मान्यता है येरुशलम में 35 एकड़ की उसी जमीन पर उनका टेंपल माउंट है. यानी वो जगह जहां उनके ईश्वर ने मिट्टी रखी थी। जिससे आदम का जन्म हुआ था. यहूदियों की मान्यता है कि ये वही जगह है, जहां अब्राहम से खुदा ने कुर्बानी मांगी थी। अब्राहम के दो बेटे थे. एक इस्माइल और दूसरा इसहाक. अब्राहम ने खुदा की राय में इसहाक को कुर्बान करने का फैसला किया लेकिन यहूदी मान्यताओं के मुताबिक तभी फरिश्ते ने इसहाक की जगह एक भेड़ को रख दिया था। जिस जगह पर ये घटना हुई, उसका नाम टेंपल माउंट है। यहूदियों के धार्मिक ग्रंथ हिबू बाइबल में इसका जिक्र है। बाद में इसहाक को एक बेटा हुआ। जिसका नाम जैकब था। जैकब का एक और नाम था इसरायल। इसहाक के बेटे इसरायल के बाद में 12 बेटे हुए। उनके नाम थे टुवेल्व ट्राइब्स ऑफ इजरायल. यहूदियों की मान्यता के मुताबिक, इन्हीं कबीलों की पीढ़ियों ने आगे चल कर यहूदी देश बनाया. शुरुआत में उसका नाम लैंड ऑफ इजरायल रखा गया था। 1948 में इजरायल की दावेदारी का आधार यही लैंड ऑफ इजरायल बना.
ईरान और यमन ने हमास के हमले का खुले तौर पर समर्थन किया है. वहीं दूसरी ओर भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जापान जैसे देश इजरायल के समर्थन में खड़े हैं. वहीं यूरोपियन यूनियन ने भी कहा कि इजरायल को अपनी संप्रभुता की रक्षा का अधिकार है.