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जानिए क्या है लव जिहाद ...कहां से हुई शुरूआत...जिसके खिलाफ सरकार बना रही है कानून...

जानिए क्या है लव जिहाद  ...कहां से हुई शुरूआत...जिसके खिलाफ सरकार बना रही है कानून...

Desk : लव जिहाद मामले को लेकर पूरे देश में चर्चा चल रही है और इसके खिलाफ क़ानून बनाने की भी तैयारी की जा रही है। हरियाणा में हुए निकिता हत्याकांड के बाद यह मामला और तूल पकड़ा अब एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके खिलाफ कानून बनाने का निर्देश दिया है तो दूसरी तरफ हरियाणा में भी इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है हरियाणा के मंत्री मोहन लाल खट्टर और मंत्री अनिल विज ने भी इस कानून पर विचार करने की बात कही है।इसके बाद मध्य प्रदेश भी एक और भाजपा सरकार वाला प्रदेश बना, जिसने ऐसा कानून लाने की बात कही।

इन तमाम राजनीतिक बयानों के बाद लव जिहाद फिर चर्चा में है. हालांकि इससे कुछ दिन पहले ही एक ज्वेलरी ब्रांड के विज्ञापन के कारण यह मुद्दा चर्चा में आ गया था. साथ ही, कथित लव जिहाद के मामले लगातार सुर्खियों में रहे हैं, हालांकि ये शहरी या राज्य स्तर पर ही चर्चित रहे. बहरहाल, अब पूरे देश में चर्चा में आ रहे लव जिहाद के बारे में तमाम ज़रूरी बातें जानना चाहिए।

क्या है लव जिहाद का मतलब?

इस्लाम में जिहाद शब्द का अर्थ धर्म की रक्षा के लिए युद्ध करना है. वर्तमान हालात में लव जिहाद एक गढ़ा हुआ शब्द है, जिसका मतलब शादी या प्रेम का झांसा देकर इस्लाम में धर्म परिवर्तन करवाने से समझा जाता है. माना जाता है कि लव जिहाद वह धोखा है, जिसके तहत कोई मुस्लिम युवक या आदमी किसी गैर मुस्लिम युवती या महिला को प्रेम का जाल बिछाकर मुस्लिम बनने पर मजबूर करता है. हालांकि यह संगठित रूप से किया जाता हो, ऐसा सबूत नहीं है, लेकिन कुछ सियासी पार्टियां ऐसा मानती हैं।

कहां से हुई लव जिहाद की शुरूआत?

साल 2009 में, रिटायर्ड जस्टिस केटी शंकरन ने माना था कि केरल और मैंगलोर में जबरन धर्म परिवर्तन के कुछ संकेत मिले थे. तब उन्होंने केरल सरकार को इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए कानूनी प्रावधान करने की बात कही थी. कोर्ट ने यह भी कहा था कि प्रेम के नाम पर, किसी को धोखे या उसकी मर्ज़ी के बगैर धर्म बदलने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

लव जिहाद के कुछ चर्चित केस...

साल 2009 में एक केस चर्चा में आया था जब एक लड़की को इस्लाम में कन्वर्ट किए जाने के आरोप लगे थे. स्पेशल ब्रांच के हवाले से उस वक्त आई खबरों में कहा गया था कि नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट और कैंपस फ्रंट जैसे कुछ समूह कई शहरों में, खास तौर से कॉलेजों में योजनाबद्ध ढंग से हिंदू और ईसाई लड़कियों को इस्लाम में कन्वर्ट करवाने के लिए 'प्रेम के झांसे' का खेल खेल रहे थे।

इसके बाद, 2014 में मेरठ के केस ने देश भर में चर्चा पाई. कलीम और शालू त्यागी के केस को लव जिहाद के तौर पर प्रचारित किया गया. इस केस में युवक और युवती ने यही कहा कि सियासी पार्टियां अपने फायदे के लिए लव जिहाद का प्रचार कर रही थीं, जबकि ऐसा कुछ नहीं था. तमाम विवाद के बावजूद दोनों ने निकाह किया. इसके बाद उसी साल एक और केस ने खलबली मचाई थी।

राष्ट्रीय स्तर की शूटर तारा शाहदेव ने खुलकर कहा था कि उसके ससुराल पक्ष ने इस्लाम कबूल करने के लिए प्रताड़ना दी. तारा ने कहा था कि उसने जिस व्यक्ति से शादी की थी, यह समझकर की थी कि वह हिंदू था. इस मामले में सीबीआई जांच हुई और पीड़िता के पति समेत ससुराल पक्ष के खिलाफ चार्जशीट फाइल की गई. उसी साल हादिया केस भी लव जिहाद का एक बेहद चर्चित केस था.

हादिया केस में लव जिहाद के तार सीरिया के आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के साथ जुड़े थे. हाई कोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए से जांच को कहा था और एनआईए ने कहा था कि 'लव जिहाद नकारा नहीं' जा सकता. इसके बाद ताज़ा मामलों में कानपुर और बल्लभगढ़ के कुछ मामले सुर्खियों में रहे।

क्या हैं कानूनी प्रावधान?

लव जिहाद के ज़्यादातर केसों में यौन शोषण संबंधी कानूनों के तहत मुकदमे चलते रहे हैं. आरोपी को पेडोफाइल मानकर पॉक्सो और बाल विवाह संबंधी कानूनों के तहत भी केस चलते रहे हैं. इसके अलावा, बलपूर्वक शादियों के मामले में कोर्ट आईपीसी के सेक्शन 366 के तहत सज़ा दे सकते हैं. महिला की सहमति के बगैर यौन संबंध बनाने का आरोप साबित होने पर 10 साल तक की कैद की सज़ा हो सकती है.

ऐसे मामलों में कानूनी पेंच यहां फंसता रहा है कि मुस्लिम शादियां शरीयत कानून और हिंदू शादियां हिंदू मैरिज एक्ट के तहत कानूनन होती हैं. चूंकि मुस्लिम शादियों में सहमति दोतरफा अनिवार्य है इसलिए इन शादियों में अगर यह साबित हो जाता है कि सहमति से ही शादी हुई थी, तो कई मामले सिरे से खारिज होने की नौबत तक आ जाती है.

हाल में, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ तौर पर ऐलान किया है कि राज्य में कथित लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून बनाने पर विचार चल रहा है. हालांकि यह बात उन्होंने चुनावी रैली में कही और इसके मसौदे के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं दी गई है. दूसरी ओर, हैदारबाद सांसद ओवैसी प्रतिक्रिया में कह चुके हैं कि संविधान में इसके लिए पहले से प्रावधान हैं इसलिए नए कानूनों की ज़रूरत नहीं है.

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