Desk: प्रणब मुखर्जी देश के एक ऐसे नेता थे जिन्हें करीब कभी सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता सम्मान के दृष्टिकोण से देखते थे. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो उन्हें राजनीति के अजातशत्रु कहां करते थे. यह बात संसद के अंदर और राष्ट्रपति रहते हुए भी कई बार साबित हो चुकी थी.
इससे जुड़ा एक वाक्य यह साबित करता है कि वाकई प्रणब दा राजनीति के एक ऐसे धुरंधर खिलाड़ी थे जिसका सम्मान सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक करता था. संसद के अंदर राजद सुप्रीमो लालू यादव और प्रणब मुखर्जी से जुड़ा एक वाक्य चर्चा में आया था. जिसमें आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि प्रणब मुखर्जी को उन्होंने डांटने का अधिकार दिया है.
गौरतलब है कि 2012 के 13 मई को संसद का विशेष सत्र चल रहा था इस दौरान लालू यादव ने अपनी बात रखते हुए प्रणब दा को अपना बड़ा भाई बताते हुए कहा था कि उन्हें हमें डांटने का अधिकार है. बता दें कि 13 मई 2012 को रविवार होने के बावजूद संसद के पहले सत्र की 60 वीं वर्षगांठ पर विशेष सत्र का आयोजन किया गया था इस अवसर पर राजद सुप्रीमो लालू यादव ने संसद को संबोधित करते हुए कहा था की कैसे उन्हें प्रणब मुखर्जी के गुस्से का शिकार होना पड़ा था. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि प्रणब दा को उन्होंने डांटने का अधिकार दिया है क्योंकि उनका गुस्सा कभी भी बेमतलब नहीं होता है.
बता दें कि 10 मई 2006 को संसद में दूरसंचार शोध को लेकर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर आरोप लगाया था कि इस सौदे में चिदंबरम और उनके पुत्र वह आर्थिक लाभ पहुंचा है के द्वारा चिदंबरम के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए काफी हंगामा किया गया था इसी दौरान प्रणब मुखर्जी ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए हंगामा करने वाले सदस्यों की जमकर फटकार लगाई थी.
आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव ने संसद के पहले सत्र की सास की वर्षगांठ पर आयोजित विशेष सत्र को संबोधित करते हुए कहा था कि प्रणब मुखर्जी एक राजनेता होने के साथ-साथ सुलझे हुए इंसान हैं और उन्हें उन्होंने डांटने का अधिकार दिया है यह बात सुनते ही सदन में मौजूद लो हंसने लगे और मुखर्जी भी मुस्कुरा पड़े.