अरवल में ट्रेड यूनियनों ने चलाया जेल भरो अभियान, सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण का विरोध

ARWAL : रविवार को अरवल में सीपीआई के कार्यकर्ताओं की ओर से जेल भरो अभियान चलाया गया. इस अभियान के तहत कार्यकर्ताओं की ओर से जुलूस निकाला गया. इस मौके पर कार्यकर्ताओं ने  केंद्र सरकार के द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र को बड़े पैमाने पर कारपोरेट के हाथों सौंपे जाने का विरोध किया. 

सीपीआई नेता रविंदर यादव ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन से बड़े पैमाने पर लोगों का रोजगार समाप्त हुए हैं. लोगों के सामने गहरा संकट है. वैसी स्थिति में सरकार लॉक डाउन और इस महामारी में जनविरोधी कानून व अध्यादेश बनाने के अवसर तलाशने में लग गई है. कई जनविरोधी एवं मजदूर विरोधी कानून इस लॉकडाउन के दौरान बनाए गए. जनता के संवैधानिक अधिकारों पर हमले किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा की संविधान, आरक्षण और रोजगार के अधिकार पर लगातार सरकार द्वारा हमले किए जा रहे हैं. यही नहीं आशा वर्करों से इस कोरोना महामारी में घर- घर जाकर सर्वे करने का काम करवाया जा रहा है. लेकिन उन्हें किसी तरह के वेतन नहीं दिया जा रहा है. उन्हें न्यूनतम मजदूरी भी नहीं दिया जा रहा है. आशा, आंगनबाड़ी, रसोईया के साथ ऐसा ही व्यवहार आखिर क्यों किया जा रहा है.

उधर सीटू, टीयूसीसी,एक्टू, एटक, आंगनबाड़ी,  आशा कर्मचारी कार्यकर्ता संघ एवं रसोईया संघ के नेताओं के नेतृत्व में शारीरिक दूरी बनाते हुए अरवल थाना में जाकर गिरफ्तारी दी गई. 

इस मौके पर नेताओं ने मांग किया की आजादी की लड़ाई के बाद स्वतंत्र भारत में भाजपा सरकार द्वारा गुलाम भारत की तरह लाए गए अध्यादेश एवं कानून को तुरंत वापस लिया जाए,  श्रम कानून में किए गए बदलाव वापस किए जाएं,  रेलवे में निजीकरण पर रोक लगाई जाए और किसी भी तरह के सार्वजनिक क्षेत्र को कारपोरेट के हवाले करने की प्रक्रिया पर अविलंब रोक लगाई जाए. आशा, आंगनबाड़ी, रसोईया समेत तमाम स्कीम वर्करों को कम से कम 21000 रुपए मासिक वेतन दिए जाएं. उन्हें स्थाई कर्मचारी का दर्जा दिया जाए. 

कार्यक्रम में सीटू के संजय भारती,  एक्टू के रविंद्र कुमार यादव,  टी यू सी सी के अजय विश्वकर्मा, ऐक्टू के शोएब आलम,  एटक के कुमार वैभव, आंगनबाड़ी के नीलम कुमारी, सीमा कुमारी,  रसोईया संघ के बादशाह प्रसाद समेत कई लोगों ने हिस्सा लिया. आर वाई ए के जिला अध्यक्ष शाह शाद ने भी इस कार्यक्रम में शिरकत किया.

अरवल से विश्वनाथ कुमार की रिपोर्ट