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गरीबों, वंचितो एवं मध्यम वर्गीय लोगों के लिए वरदान साबित हो रही जन औषधि केंद्र, दस वर्षों में उपभोक्ताओं को अनुमानित 30,000 करोड़ रुपये की बचत :- अरविन्द सिंह

गरीबों, वंचितो एवं मध्यम वर्गीय लोगों के लिए वरदान साबित हो रही जन औषधि केंद्र, दस वर्षों में उपभोक्ताओं को अनुमानित 30,000 करोड़ रुपये की बचत  :- अरविन्द सिंह

PATNA  :- भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अरविन्द कुमार सिंह ने कहा है कि देशभर में क्रियाशील प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्र गरीबों, वंचितो एवं मध्यम वर्गीय लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है क्योंकि इन केंद्रों के माध्यम से आम जनमानस को सस्ती दवाएं उपलब्ध करा रही है मोदी सरकार। इन केन्द्रों से दवाई खरीदने पर उपभोक्ताओं को 50% से 90% तक की बचत होती है। पिछले 10 वर्षों में, जन औषधि केन्द्रों के माध्यम से दवाओं की बिक्री से उपभोक्ताओं को अनुमानित 30,000 करोड़ रुपये की बचत हुई हैं।  प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के तहत जन औषधि केन्द्रों के माध्यम से केवल गुणवत्तापूर्ण दवाओं की आपूर्ति की जाती है।

श्री अरविन्द ने कहा किआपूर्ति की जाने वाली दवाइयों को विश्व स्वास्थ्य संगठन- गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (डब्ल्यूएचओ-जीएमपी) प्रमाणित आपूर्तिकर्ताओं से ही खरीदा जाता है, ताकि उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। गोदामों में पहुंचने के बाद दवाओं के प्रत्येक बैच का परीक्षण ‘राष्ट्रीय परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड’ (एनएबीएल) द्वारा मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में किया जाता है।

 गुणवत्ता परीक्षण पास करने के बाद ही दवाओं को जन औषधि केन्द्रों (जेएके) में भेजा जाता है। गुणवत्ता मापदंडों को पूरा न करने वाले किसी भी बैच को आपूर्तिकर्ता को वापस कर दिया जाता है। जेएके के माध्यम से केवल गुणवत्तापूर्ण दवाओं की आपूर्ति की जाती है।  जन औषधि केन्द्रों के माध्यम से बेची जाने वाली दवाओं और अन्य वस्तुओं की बिक्री 2014 के 7.29 करोड़ रुपये से बढ़कर जुलाई 2024 तक 1470 करोड़ रुपये हो गई है।

8 साल में 80 से बढ़कर 13113 हो गई केंद्रों की संख्या

अरविंद सिंह ने बताया कि जन औषधि केन्द्रों (जेएके) की संख्या 2014 के 80 से बढ़कर 31 जुलाई 2024 तक 13113 हो गई है, जो इस योजना की लोकप्रियता को दर्शाता है।  पिछले 10 वर्षों में, जेएके के माध्यम से 5,600 करोड़ रुपये की दवाओं की बिक्री की गई है, जिससे उपभोक्ताओं को अनुमानित 30,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।

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