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जाने कैसे हुआ सूर्य देव का जन्म ? रहस्य से उठेगा पर्दा....

जाने कैसे हुआ सूर्य देव का जन्म ? रहस्य से उठेगा पर्दा....

डेस्क.... पौराणिक कथा के अनुसार, पहले यह सम्पूर्ण जगत प्रकाश रहित था. उस समय कमलयोनि ब्रह्मा जी प्रकट हुए. उनके मुख से प्रथम शब्द ॐ निकला जो सूर्य का तेज रुपी सूक्ष्म रूप था. तत्पश्चात ब्रह्मा जी के चार मुखों से चार वेद प्रकट हुए जो ॐ के तेज में एकाकार हो गए.यह वैदिक तेज ही आदित्य है जो विश्व का अविनाशी कारण है. ये वेद स्वरूप सूर्य ही सृष्टि की उत्पत्ति,पालन व संहार के कारण हैं. ब्रह्मा जी की प्रार्थना पर सूर्य ने अपने महातेज को समेट कर स्वल्प तेज को ही धारण किया. सृष्टि रचना के समय ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि हुए जिनके पुत्र ऋषि कश्यप का विवाह अदिति से हुआ. अदिति ने घोर तप द्वारा भगवान् सूर्य को प्रसन्न किया जिन्होंने उसकी इच्छा पूर्ति के लिए सुषुम्ना नाम की किरण से उसके गर्भ में प्रवेश किया. गर्भावस्था में भी अदिति चान्द्रायण जैसे कठिन व्रतों का पालन करती थी. यह सुन कर देवी अदिति ने गर्भ के बालक को उदर से बाहर कर दिया जो अपने अत्यंत दिव्य तेज से प्रज्वल्लित हो रहा था. भगवान् सूर्य शिशु रूप में उस गर्भ से प्रगट हुए. अदिति को मारिचम- अन्डम कहा जाने के कारण यह बालक मार्तंड नाम से प्रसिद्ध हुआ. ब्रह्मपुराण में अदिति के गर्भ से जन्मे सूर्य के अंश को विवस्वान कहा गया है.

क्या कहता है विज्ञान

हमारा सूरज अरबों सालों से चमक रहा है, इंसान के अस्तित्व में आने से पहले से. उसका विकास 4.6 अरब साल पहले गैस के बादलों से हुआ. और अंदाजा है कि वह कम से कम 5 अरब सालों तक चमकता रहेगा, जब तक उसकी ऊर्जा का भंडार खत्म न हो जाए.सूरज दरअसल एक बड़ा परमाणु रिएक्टर है. उसके सत्व में तापमान और दबाव इतना ज्यादा है कि हाइड्रोजन परमाणु मिलकर हीलियम परमाणु बन जाते हैं. इस प्रक्रिया में बहुत सारी ऊर्जा पैदा होती है. सूरज के मैटीरियल की एक चुटकी इतनी ऊर्जा पैदा करती है जितना पाने के लिए हजारों मीट्रिक टन कोयला जलाना होगा. धरती से देखने पर सूरज बहुत बड़ा नहीं लगता. वह आकाश में चमकदार स्पॉट की तरह दिखता है. लेकिन असल में उसका घेरा 700,000 किलोमीटर और उसके गर्भ का तापमान 1.5 करोड़ डिग्री सेल्सियस है. बाहर की आखिरी सतह पर भी उसका तापमान 5,500 डिग्री सेल्सियस रहता है. हमारे ब्रह्मांड में सितारे इसलिए चमकते हैं क्योंकि वे अपने गर्भ में ऊर्जा पैदा करते हैं. सूरज भी दूसरे अरबों सितारों की ही तरह है. दूसरे सितारों की तुलना में सूरज मध्यम आकार का है. कुछ तारे उससे भी 100 गुणा बड़े हैं तो कुछ उसके आकार का केवल एक दहाई. सूरज की बाहरी सतह खौलती उबलती दिखती है. गर्म और चमकदार तरल सूरज के अंदर से बाहर निकलता है, ठंडा होता जाता है और फिर से अंदर की ओर चला जाता है. सूरज धरती के इतना करीब है कि खगोलशास्त्री इस प्रक्रिया को विस्तार से देख सकते हैं. कभी कभी सूरज की सतह पर बड़े बड़े काले धब्बे दिखने लगते हैं और करीब महीने भर रहते हैं. ईसा के जन्म से भी पहले इंसान को इन धब्बों के बारे में पता था. काफी समय तक लोग इसके बारे में चकित रहते थे लेकिन अब पता है कि ये धब्बे तीव्र चुम्बकीय क्षेत्र के कारण दिखते हैं. जब सूरज अत्यंत सक्रिय होता है तो भूचुम्बकीय तूफान पैदा हो जाते हैं. और सूरज बड़ी मात्रा में आवेशित अणुओं को अंतरिक्ष में फेंक देता है. ये अणु उपग्रहों से टकरा सकते हैं और उन्हें नष्ट कर सकते हैं. वे पृथ्वी पर बिजली के सब स्टेशनों के काम में भी बाधा डाल सकते हैं. भूचुम्बकीय तूफानों का ही एक असर पोलर लाइट भी है. अरुणोदय की चमक. ये तब दिखता है जब आवेशित अणु धरती के वातावरण से टकराते हैं. ऐसा कितनी बार होगा यह सौर चक्र पर निर्भर करता है. ग्यारह साल में एक बार सूरज खास तौर पर सक्रिय होता है.


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