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JDU ने दी ऐसी सलाह की 'टेंशन' में आ जायेंगे तेजस्वी यादव, RJD नेतृत्व को जगरनाथ महतो से सीखने की जरुरत

JDU ने दी ऐसी सलाह की 'टेंशन' में आ जायेंगे तेजस्वी यादव, RJD नेतृत्व को जगरनाथ महतो से सीखने की जरुरत

PATNA : झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की चर्चा बिहार की राजनीति में होने लगी है। हालांकि यह चर्चा वहां 65 हजार शिक्षकों की सेवा शर्तों को सुलझाने को लेकर नहीं, बल्कि उनकी पढ़ाई को लेकर है। झारखंड के शिक्षा मंत्री की उम्र 54 साल है और इस उम्र में वह इंटर की परीक्षा में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं। अब झारखंड के शिक्षा मंत्री के इस कदम को लेकर बिहार में जदयू ने जमकर तारीफ की है। साथ ही राज्य की सबसे बड़ी बड़ी पार्टी राजद को इससे सीख लेने की नसीहत भी दे दी गई है। 

जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने एक जगरनाथ महतो के फैसले की तारीफ करते हुए लिखा है कि 'राजद को सहयोगी दल से सीख लेनी चाहिए। झारखंड के शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो ने 54 वर्ष की उम्र में इन्टर परीक्षा देने का लिया फैसला और कहा- "उम्र मुद्दा नहीं है, पढ़ने का उम्र नहीं होता" राजद के शीर्ष नेतृत्व को इस निर्णय का स्वागत एवं अपने दल में इसे लागू करने पर विचार करना चाहिए।

नीरज कुमार ने नाम नहीं लेते हुए इशारों में ही बता दिया कि वह बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की बात कर रहे हैं, जिन पर अक्सर मैट्रिक फेल होने का आरोप लगता रहा है। नीरज कुमार ने कहा है कि राजनीति में ज्ञान जरुरी है, इसमें लज्जा नहीं आनी चाहिए। बिहार के मुख्यमंत्री ने सभी जिलों में अच्छे स्कूल खोल दिए हैं, वह कहीं से भी एडमिशन लेकर पढ़ाई पूरी कर सकते हैं। नीरज कुमार ने कहा कि अगर 54 साल के जगरनाथ महतो अपनी पढ़ाई को लेकर इतने गंभीर हैं, तो राजद के शीर्ष नेतृत्व क्यों नहीं।

होती है शर्मिंदगी

बता दें कि शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो मैट्रिक पास हैं और अब वह झारखंड एकेडमिक काउंसिल की ओर से ली जाने वाली इंटरमीडिएट की परीक्षा में शामिल होंगे। उन्होंने पिछले साल भी इस परीक्षा का फॉर्म भरा था, लेकिन गंभीर कोविड संक्रमण की वजह से वह परीक्षा में शामिल नहीं हो पाये थे। 54 वर्षीय जगरनाथ महतो डुमरी विधानसभा क्षेत्र से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक हैं। उन्होंने कहा कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनकी उम्र क्या है। पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती। उनके पास आलोचकों को जवाब देने और शान के साथ पढ़ाई करने का संकल्प है। एक बार उन्होंने कहा था कि उन्हें तब शर्मिंदगी महसूस होता है, जब वह किसी कार्यक्रम में जाते हैं और बच्चों को शिक्षित होने के लिए कहते हैं।


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