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JHARKHAND NEWS: 1906 में बना गझंडी स्टेशन आज भी है खास, हर साल हजारों लोगों की उम्मीद पूरी करता है यह स्टेशन, जाने कैसे....

JHARKHAND NEWS: 1906 में बना गझंडी स्टेशन आज भी है खास, हर साल हजारों लोगों की उम्मीद पूरी करता है यह स्टेशन, जाने कैसे....

कोडरमा: भारतीय रेल देश की अर्थव्यवस्था की जान है। हर रोज करोड़ों रेल यात्री रेल से सफर करते हैं। दरअसल अंग्रेजों ने भारतीय रेल की शुरूआत की थी और देश के प्रमुख शहरों के बीच रेलवे लाइन का विस्तार किया था। तब गया-धनबाद रुट पर एक स्टेशन बनाया गया था, जिसका नाम था गझंडी। यह स्टेशन आज भी ऑपरेटिव है। रेलवे की गतिविधियां यहां से अंजाम दी जाती हैं। दरअसल इस स्टेशन का महत्व तीन टनलों के कारण काफी अहम है। इस स्टेशन को 1906 में बनाया गया था। जानकार कहते हैं, तब गझंडी स्टेशन गार्ड व रेलवे ड्राइवर के लिए रेस्ट प्वाइंट के रूप में प्रयोग किया जाता था, जो आज भी जारी है।

कभी रहते थे तीन हजार कर्मी

इस रेलवे स्टेशन के लिए बने रेलवे क्ववार्टर में कभी करीब तीन हजार से भी ज्यादा रेलकर्मी रहा करते थे। वैसे तो कोडरमा जंक्शन के तकनीकी कार्य आज भी गझंडी स्टेशन से किये जाते हैं लेकिन इस स्टेशन की एक और खासियत यह है कि यह अपने साथ नजदीकी रेलवे स्टेशनों के लोगों की प्यास को बुझाने के लिए भी जाना जाता है। गझंडी के पम्पू तालाब इन लोगों के प्यास को बुझाता था। लोगों का यह भी कहना है कि इस पम्पू तालाब से पानी को फिल्टर कर के कभी गोमो (सुभाष चंद्र बोस स्टेशन) को भी पानी सप्लाई की जाती थी। 

लोगों की माने तो इस पम्पू तालाब का जलस्तर बहुत बेहतर है। यह तालाब बहुत बेहतर है। इसी तालाब के कारण गझंडी स्टेशन के इर्द-गिर्द के इलाकों में भीषण गर्मी में भी कभी पानी की दिक्कत नहीं हुई। इस स्टेशन आराम करने वाले रेलकर्मी के अलावा स्थानीय लोगों की प्यास इसी पम्पू तालाब से बुझती है। इस तालाब का पानी फ्रेश कर के पाइपलाइन द्वारा रेलवे क्वार्टर व नजदीकी स्टेशनों पर भेजा जाता है। हालांकि नजदीक के कई स्टेशनों पर अब पीने का पानी की उपलब्धता है लेकिन भीषण गर्मी में गझंडी स्टेशन की काम आता है।

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