JAMSHEDPUR : झारखंड मुक्ति मोर्चा में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. ये हम नहीं बल्कि तस्वीरें बयां कर रही है. चम्पई सोरेन का मतलब झारखंड मुक्ति मोर्चा का थिंक टैंक. यूं कह सकते हैं कि चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के कोल्हान ही नहीं बल्कि झारखंड की राजनीति का सबसे मजबूत आधार स्तंभ हैं. शिबू सोरेन के सबसे करीबी और किसी जमाने में मुख्यमंत्री की कुर्सी का सबसे प्रबल दावेदार चंपई सोरेन इन दिनों झारखंड मुक्ति मोर्चा की राजनीति में कुछ फिट नहीं बैठ रहे. भले ही सरायकेला विधानसभा सीट से उन्हें टिकट मिला हो.
लेकिन शिबू सोरेन कोल्हान में हों और चंपई सोरेन मंच साझा ना करें. ये बड़े- बड़े राजनीतिक पंडितों के गले नहीं उतर रहा है. वैसे पिछले लोकसभा चुनाव के बाद से ही झारखंड मुक्ति मोर्चा में कुछ बिखराव देखा जा रहा है. लोकसभा चुनाव के बाद से ही झामुमो के कई बड़े कार्यक्रमों से चम्पई सोरेन गायब ही नजर आए. वहीं विधानसभा चुनाव में भी चम्पई अपने विधानसभा में ही सिमट कर रह गए हैं. जबकि चम्पई सोरेन झामुमो के स्टार प्रचारकों में शिबू सोरेन के बाद सबसे महत्वपूर्ण चेहरा रहे हैं.
खासकर कोल्हान के सभी 14 में से 8 विधानसभा सीटों के प्रत्याशियों को अकेले दम पर चुनाव जिताने की क्षमता भी रखते हैं. आज भी शिबू सोरेन खरसांवा में दशरथ गागराई के लिए चुनावी सभा को संबोधित करने पहुंचे. लेकिन चम्पई सोरेन सभा से नदारद रहे. ऐसे में कोल्हान झामुमो में सबकुछ ठीकठाक है. ये कहना सही नहीं होगा. वैसे भी दो दो सिटिंग विधायक कुणाल षाड़ंगी और शशिभूषण सामड लगातार झामुमो पर हमलावर रुख अख्तियार कर रखे हैं.
जमशेदपुर से संतोष की रिपोर्ट