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जोकीहाट में थमा चुनाव प्रचार, तिलिस्म के सहारे राजद तो जदयू को निर्दलियों से है उम्मीद

जोकीहाट में थमा चुनाव प्रचार, तिलिस्म के सहारे राजद तो जदयू को निर्दलियों से है उम्मीद

ARARIA – 28 मई को होने वाले मतदान से पहले आज जोकीहाट में चुनाव प्रचार थम गया. जदयू के विधायक रहे सरफ़राज़ आलम के इस्तीफ़े से खाली हुई जोकीहाट विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है. जोकीहाट विधानसभा सीट पर जदयू का पिछले 17 साल से कब्ज़ा रहा है. जदयू ने इस सीट पर लगातार चार बार जीत दर्ज की है जबकि राजद को एक बार जोकीहाट में सफलता मिली है.

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तिलिस्म के सहारे राजद

जोकीहाट में राजद और जदयू के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है. राजद को इस बार भी तस्लीम के तिलिस्म का सहारा है. पूर्व सांसद तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद खाली हुई अररिया लोकसभा सीट पर उन्हीं के बड़े बेटे सरफराज को उम्मीदवार बना कर राजद ने बाज़ी मारी थी और अब तस्लीमुद्दीन के ही छोटे बेटे शाहनवाज को राजद ने जोकीहाट से मैदान में उतारा है.

पप्पू यादव अपनी मौजूदगी कराना चाहते एहसास

पप्पू यादव ने भी जोकीहाट में अपनी जन अधिकार पार्टी का उम्मीदवार दिया है. मकसद सीमांचल में अपने वजूद का एहसास कराना है.

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ख़ास रणनीति के साथ चुनाव लड़ रहा जदयू

17 साल से कब्ज़े वाली सीट को जदयू खोना नहीं चाहती है इसलिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर उनके पार्टी के तमाम बड़े नेताओं ने यहाँ प्रचार किया है. अपनी सीट बचाने के लिए जदयू ने जोकीहाट में ख़ास रणनीति के साथ काम किया है. भाजपा के एक दो नेताओं को छोड़कर बाकी सभी को जोकीहाट से दूर रखा गया. आरसीपी सिंह, रणवीर नंदन, ललन सर्राफ़ सरीखे नेताओं ने मुसलमान वोटरों के बीच ज्यादा वक़्त दिया. जबकि  विजेंद्र यादव, नरेन्द्र नारायण यादव जैसे जदयू के पुराने नेता हिन्दू वोटरों के बीच जनसंपर्क करते रहे. जदयू ने मुसलमान वोटरों का भरोसा जीतने के लिए सहयोगी दल भाजपा के नेताओं को खूब खरी–खोटी सुनाई.

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अपने उम्मीदवार से ज्यादा निर्दलियों से है जदयू को उम्मीद

जोकीहाट सीट पर कभी एनसीपी से चुनाव लड़ चुके मुर्शिद आलम को जदयू ने उम्मीदवार बनाया है लेकिन मुर्शिद की जीत का दारोमदार पांच निर्दलीय उम्मीदवारों के प्रदर्शन पर है. दरअसल जदयू को इस बात की उम्मीद है की मुसलमान तबके से आने वाले पांच निर्दलीय राजद उम्मीदवार का ही वोट काटेगें. 2015 में अपने उम्मीदवार के ख़िलाफ़ सबसे ज्यादा वोट लाने वाले रंजीत यादव को भी जदयू ने इस बार अपने साथ जोड़ रखा है. मतलब यह की जदयू को जीत के लिए मुस्लिम वोटों के बिखराव की दरकार है. 

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