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कर्पूरी शोध संस्थान ने मनाया भिखारी ठाकुर जयंती समारोह : 'भोजपुरी के शेक्सपीयर' की रचनाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करने की उठी मांग

 कर्पूरी शोध संस्थान ने मनाया भिखारी ठाकुर जयंती समारोह : 'भोजपुरी के शेक्सपीयर' की रचनाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करने की उठी मांग

CHHAPRA : भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले लोककवि भिखारी ठाकुर की 134 वीं जयंती शनिवार को राजकीय समारोह के रूप में मनाया गया। वहीं जननायक कर्पूरी सेवा एवं शोध संस्थान तथा कर्पूरी सेना के नेतृत्व में शहर के भिखारी ठाकुर चौक पर स्थित आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर भिखारी ठाकुर को श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। संगठन के डॉ सुनील प्रसाद ने कहा कि भिखारी ठाकुर ने आजीवन अपने कला एवं रचनाओं के माध्यम से समाज सुधार का कार्य किया। इस अवसर पर प्रदेश सरकार से माँग किया गया कि भिखारी ठाकुर के रचनाओं को विद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएं ताकि विद्यार्थी उसका अनुसरण कर सकें। 

मौके पर कर्पूरी सेना के प्रदेश अध्यक्ष राजकिशोर प्रसाद ठाकुर ने कहा कि भिखारी ठाकुर ने नीचे रह कर भोजपुरी भाषा एवं संस्कृति को जो ऊंचाई प्रदान की वह अनुकरणीय है। उन्होंने कहा कि भिखारी ठाकुर ने नाई का पेशा करते हुए अस्तुरे के धुन पर सांस्कृतिक विरासत लिख डाली ऐसे महान विभूति को आज तक केंद्र व राज्य सरकार द्वारा उचित सम्मान नही मिल पाया जो खेदपूर्ण है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन ब्रिटिश सरकार उनके कला से प्रभावित होकर उन्हें रायबहादुर की उपाधि प्रदान की थीं। भिखारी ठाकुर लेखक, कवि, नाटककार के साथ रंगकर्मी की भूमिका में अपनी प्रतिभा से संपूर्ण भोजपुरी भाषी क्षेत्रों में एक नई क्रांति की शुरुआत की थीं। तत्कालीन शासन-प्रशासन एवं सामाजिक रूढ़िवादिता के खिलाफ उन्होंने मोर्चा खोलते हुए इस पर विजय प्राप्त की थीं। बाल-विवाह, नशाबंदी, दहेजप्रथा आदि सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ उन्होंने आज से 50 वर्ष पूर्व अपनी कला के माध्यम से मोर्चा खोला था। 

सरकार भी कर रही है उनका अनुसरण

आज सरकार इनसभी का अनुसरण भी कर रही है। भिखारी ठाकुर एक कला साधक के साथ-साथ दिरदर्शी सोंच रखने वाले व्यक्ति थे। सारण जिले के कुतुबपुर गाँव मे एक नाई परिवार में जन्म लेने वाले भिखारी ठाकुर गरीबी को काफी नजदीक से देखा था। वे आजीविका चलाने हेतु कलकत्ता के खड़गपुर में दाढ़ी-हजामत का कार्य करते हुए भोजपुरी गीत-गवनई का कार्य प्रारंभ किया। आगे चलकर उन्होंने नाट्यमण्डली के माध्यम से एक ऐसी ख्याति अर्जित कीं जो स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गया।


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