ARWAL : बिहार विधानसभा का बिगुल बज चुका है. राजनीति की वोट वाली विसात पर मोहरे फिट किये जा रहे हैं. सर्वविदित है कि लड़ाई एनडीए बनाम यूपीए होने वाला है. लेकिन कुछ ऐसे नेता भी है जो जमीन पर काम कर अपनी जमीन तैयार कर चुके हैं और दूसरों की जमीन खिसकाने का माद्दा भी रखते हैं. बता दें कि कुर्था विधानसभा में 2015 में गठबंधन का समीकरण दूसरा था.
एनडीए खेमे वाली पार्टी जदयू तब लालू यादव के आरजेडी के साथ खड़ी थी, वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि भी किस्मत आजमा रहे थे. इसके बावजूद स्थानीय नेता व मुम्बई ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह यादव ने जमकर रार ठाना था. वोट के विसात पर भी अपना जलवा दिखाने में सफल हुए थे.
बताया जा रहा है कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी राजेंद्र सिंह यादव मजबूती के साथ ताल ठोकने की तैयारी कर चुके हैं. अरवल जिला में जमीनी काम कर अपना जनाधार बनाने वाले नेता के रूप में पहचान बना चुके राजेन्द्र यादव इस चुनाव में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते. कहा जाता है कि राजेंद्र यादव की ताकत इतनी है कि दोनों गठबन्धन का खेल बिगाड़ सकते हैं. ऐसे वे टिकट के प्रयास में लगे हैं.
अरवल जिला में उनकी पत्नी किरण देवी जिला परिषद की चेयरमैन है उसका भी लाभ उन्हें मिल सकता है. 5 साल में राजेंद्र यादव तीन बार चेयरमैन की कुर्सी की आजमाइश में जीत दर्ज कर अपना शक्ति प्रदर्शन कर चुके हैं. राजेंद्र यादव मुंबई ट्रेड यूनियन मजदूर नेता के रूप में जाने जाते हैं. मुंबई में क्षेत्र, भाषा और प्रांतवाद की लड़ाई पर भी राज ठाकरे से आर-पार की लड़ाई लड़ा था. यहां तक कि मुंबई में मारे गए पवन, धर्मेंद्र, राहुल राज की लड़ाई में भी इन्होंने अहम भूमिका अदा किए थे. आज की परिवेश में अगर एक चुनाव लड़ते हैं तो सभी राजनीतिक पार्टी के उम्मीदवारों का खेल बिगाड़ सकते.