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केके पाठक का टारगेट सेट, मार रहे निशाना पर निशाना, शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर भी चुप, जानें विवादों में काम करना क्यों उनकी फितरत...

केके पाठक का टारगेट सेट, मार रहे निशाना पर निशाना, शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर भी चुप, जानें विवादों में काम करना क्यों उनकी फितरत...

PATNA : केशव कुमार पाठक यानी के के पाठक. यह नाम आजकल बेहद सुर्खियों में हैं. ये नाम बिहार में इन दिनों प्रशासनिक और राजनीतिक महकमें में खूब गूंज रहा है. केके पाठक बिहार के शिक्षा विभाग में अपर मुख्य सचिव है... और जब से इस पद पर काबिज हुए हैं. कईयों की नींद हराम हो गई है. उनका मिशन क्लीयर है कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था को दुरूस्त करना है. उन्होंने हाल में ही शिक्षा से जुड़े कुछ फैसले लिए हैं, जिनमें स्टाफ के जींस-टीशर्ट पहनने पर पाबंदी से लेकर सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक कोचिंग स्कूलों के चलने पर रोक आदि शामिल हैं. आपको याद होगा कि शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने उनके खिलाफ पीत पत्र भेजा. उसके बाद विवाद इतना बढ़ गया कि सीएम नीतीश कुमार को हस्तक्षेप करना पड़ा था. और अब सरकारी स्कूलों में उन्होंने छुट्टी में कटौती कर दी है. 

वैसे यह पहली बार नहीं कि केके पाठक को लेकर इतनी सरगर्मी दिख रही है. केके पाठक की छवि पावर लॉबी में ऐसे अफसर की है, जो हमेशा विवादों में रहे हैं. मंत्रियों और राजनेताओं से उनकी तकरार का पैटर्न पुराना है. कहा जाता है कि सालों पहले वो लालू यादव की मुश्किलें बढ़ा चुके हैं. 2016 में तो उन्होंने बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी को मानहानि का लीगल नोटिस ही भिजवा दिया था. 1990 बैच के IAS  केके पाठक पहली बार 1996 में तब चर्चा में आए थे, जब उन्होंने सांसद निधि के पैसों से बने एक अस्पताल का उद्घाटन एक सफाई कर्मचारी से करवा दिया था. 2010 में वह सेंट्रल डेप्युटेशन पर दिल्ली चले गए थे, जिसके बाद वापसी बिहार में 2015 में हुई.

महागठबंधन की सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार ने केके पाठक को वापस बुला लिया.  राज्य में शराबबंदी लागू करने की कमान उन्हें ही सौंपी गई, हालांकि इसके दो साल बाद ही वो फिर दिल्ली लौट गए. अब 2021 के बाद से वह पटना में हैं. यूपी से पढ़े-लिखे 1990 बैच के इस IAS अफसर के करियर को लेकर दो विपरीत छोर ही दिखते हैं. एक ओर उनकी इमेज कड़क और फटाफट फैसले लेने वाले अफसर की है, तो दूसरी तरफ उनका दामन विवादों से भी भरा रहा है.

2018 में पटना हाईकोर्ट ने केके पाठक पर 1.75 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. SBI के सात बैंक मैनेजरों ने उन पर मनमानी का आरोप लगाया था. स्टैंप ड्यूटी देर से जमा करने से जुड़े इस मामले में कोर्ट ने आरोप सही पाया था. पटना हाईकोर्ट में हाजिरी ना लगाने को लेकर वॉरंट से लेकर विभागीय बैठक में अपशब्दों के कथित इस्तेमाल करने का भी आरोप लगा है. हालांकि उनके पक्ष में कहा जाता है कि वह स्कूली शिक्षा को पटरी पर लाने का काम कर रहे हैं...लगातार सरकारी स्कूलों में छापेमारी कर रहे हैं. टीचरों में हड़कंप मचा है. कई दफा केके पाठक के खिलाफ टीचर प्रोटेस्ट भी कर चुके हैं. पर केके पाठक को इन सब से कोई लेना देना नहीं है. उनका टारगेट एकदम सेट है और वो निशाना पर निशाना लगा रहे है. उनके विरोधी अब बस निशाना चुकने का इंतजार कर रहे हैं. 

देबांशु प्रभात की रिपोर्ट

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