बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

अयोध्या के राम मंदिर का इतिहास जानिए, राजा विक्रमादित्य के निर्माण से लेकर बाबर के द्वारा विध्वंस की हिंसक कहानी से होते हुए वर्तमान में प्राण प्रतिष्ठा होने तक

अयोध्या के राम मंदिर का इतिहास जानिए, राजा विक्रमादित्य के निर्माण से लेकर बाबर के द्वारा विध्वंस की हिंसक कहानी से होते हुए वर्तमान में प्राण प्रतिष्ठा होने तक

N4N DESK : अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी को है. ज्ञात जानकारी के अनुसार माना जाता है कि राम मंदिर का निर्माण ईसा से ढ़ाई सौ साल पहले राजा विक्रमादित्य ने कराया था.मुस्लिम शासकों का आक्रमण हुआ तो बाबर के सेनापति मीर बाकी ने राममंदिर को खंडित कर उसे मस्जिद का रुप दे दिया. साल 1853 में राममंदिर और उसके भूमि को लेकर हिंदू और मुसलमान में विवाद शुरु हुआ . दोनों पक्षों ने इस पर अपना अपना दावा पेश कर दिया.1859 में अंग्रेजी हुकूमत ने विवाद का निपटारा करते हुए मंदिर के भीतर मुस्लमानों को नमाज पढ़ने और पूजा के लिए बाहर की स्थान तय कर दिया.

1949 में राम की मूर्ति मंदिर के भीतर स्थापित कर दी गई. तनाव बढ़ने लगा तो प्रशासन ने मंदिर पर ताला जड़ दिया. साल 1986 में  अयोध्या के जज ने हिंदूओं को पूजा अर्चना की इजाजत दे दी. जिला जज के आदेश पर मुसलमानों ने विरोध और आपत्ति दर्ज कराई.तो विश्व हिंदू परिषद ने 1989 में विवादित जमीन के बाहर कार्यशाला शुरु कर दिया.दिन 6 दिसंबर 1992 को रामभक्तों की टोली ने गुलामी का प्रतीक मानते हुए देखते हीं देखते विवादित ढ़ाचे को जमींदोज कर दिया.

विवादित ढ़ाचे के विध्वंस की जांच के लिए 16 दिसंबर 1992 को लिब्राहन कमीशन का गठन किया गया. कमीशन ने 16 मार्च 1993 को अपना रिपोर्ट सौंपा तो तहलका मच गया. लिब्राहन आयोग ने भाजपा के शीर्ष नेता लाल कृष्ण आडवाणी , मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहति कई लोगों को दोषी ठहराया .

तो 1993 में राममंदिर के विवादित क्षेत्र के अधिग्रहण का काम शुरु हुआ तो मोहम्मद फारुकी ने इसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे दी. 1996 में राम जन्मभूमि न्यास ने भूमि अपने पक्ष में देने की मांग की जिसे सरकार ने ठुकरा दिया.तो 1997 में न्यास हाईकोर्ट पहुंचा, जहां उसकी मांग खारिज कर दी गई.

साल 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने साक्ष्यों ,सर्वे, उत्खनन को पुख्ता प्रमाण मानते हुए बहुमत से राम मंदिर बनाने के लिए हिंदू पक्ष में अपना फैसला दे दिया.इस आदेश में मुसलमानों को पक्ष नहीं माना गया.

और साल 2010 दिन 9 नवंबर सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यों की संविधान पीठ ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में विवादित जमीन जिसका क्षेत्रफल 2.77 एकड़ है को राम मंदिर बनाने के लिए आदेश पारित किया. साथ हीं मुस्लिम पक्षकारों को मस्जिद या उनकी इच्छा से कोई निर्माण करने के लिए 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया.

5 अगस्त 2020 को राम मंदिर का विधिविधान से भूमि पूजन किया गया.लगभग तीन साल में भव्य राम मंदिर तैयार हुआ है और 22 जनवरी को 500 साल के इंतजार के बाद रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होने वाला है. भगवान राम विराजने वाले है.राम आने वाले है,जिसका हर भारतीय शिद्दत से इंतजार कर रहा है.  


Suggested News