डेस्क... बिहार के विश्वविद्यालयों को 5 माह में 2 साल पीछे चल रहे सत्र को नियमित कर देना है। यह आदेश कुलाधिपति सह राज्यपाल फागू चौहान ने कुलसचिवों के साथ हुई बैठक के दौरान दिया। राज्यपाल ने कहा कि 31 मई तक परीक्षा और मूल्यांकन के साथ सेशन को हर हाल में रेगुलर करना है। वहीं वर्तमान में पटना यूनिवर्सिटी भी लेट चल रहा है।
सबसे नियमित सत्र वाली पटना यूनिवर्सिटी का हाल यह है कि यहां एडमिशन का काम जो जुलाई के पहले संपन्न हो जाता था, वह कोरोना की वजह से अभी लेट चल ही रहा है। क्लासेज अब जनवरी में होंगी, परीक्षाएं मार्च में होंगी और 31 मई तक रिजल्ट निकालना है।
पटना यूनिवर्सिटी तो यह काम कर लेगा, लेकिन जिन विश्वविद्यालयों में सेशन दो -तीन साल पीछे चल रहा है, उनके लिए कुलाधिपति का फरमान टेढ़ी खीर है। जेपी यूनिवर्सिटी, बीएन मंडल यूनिवर्सिटी, पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी, मगध यूनिवर्सिटी, वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी, भागलपुर यूनिवर्सिटी आदि में सेशन काफी लेट है। एकेडमिक सेशन 31 मई को खत्म हो रहा है। यानी लगभग 150 दिनों में दो साल बैक चल रहे सेशन की परीक्षाएं कराना और उसका मूल्यांकन आसान नहीं है।
एकेडमिक कैलेंडर समय से बनाने और लागू करने की चुनौती
विश्वविद्यालयों के सामने बड़ा चैलेंज है कि निर्देश के अनुसार परीक्षाओं को शुरू करने के लिए एकेडमिक कैलेंडर जल्द से जल्द बनाया जाए। इसको लेकर जैसी सख्ती दिखाई जानी चाहिए वह अब तक नहीं दिखी है। विश्वविद्यालय समय से एकेडमिक कैलेंडर बनाएं और उसे समय से लागू भी करें यह दोनों ही चैलेंज कोरोना के बीच विश्वविद्यालयों पर है।