भागलपुर - गंगा दशहरा के अवसर पर, बिहार और झारखंड के हजारों श्रद्धालुओं ने भागलपुर के सुल्तानगंज अजगैबीनाथ घाट पर गंगा नदी में स्नान किया। भागलपुर के सुल्तानगंज के अजगैबीनाथ धाम, कहलगांव के बटेश्वर धाम, सहित उत्तर वाहिनी गंगा के घाटों पर सुबह से हीं श्रद्धालु गंगा दशहरा के दिन डूबकी लगा रहे हैं । इन स्थानों पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी है और विशेष पूजा-अर्चना लोग कर रहे है। इस पवित्र पर्व के दौरान गंगा स्नान को धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व दिया जाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गंगा दशहरा, जो कि ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है, गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरण का दिन है। इस दिन गंगा के तट पर भव्य मेले, पूजा-अर्चना और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। श्रद्धालुओं द्वारा गंगा में डुबकी लगाने के साथ-साथ, वे गंगा आरती, दीपदान और गंगा की पूजा भी करते हैं।
बिहार और झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग गंगा तट पर पहुँचते हैं, विशेषकर वाराणसी, हरिद्वार, पटना, और भागलपुर जैसे स्थानों पर, जहां गंगा के तट पर विशेष आयोजन होते हैं। यह पर्व न धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
गंगा दशहरा के पर्व पर उत्तर वाहिनी गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व है। उत्तर वाहिनी गंगा वह है जो उत्तर दिशा की ओर बहती है, और इसे विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उत्तर वाहिनी गंगा में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों से मुक्ति मिलती है।
उत्तर वाहिनी गंगा के स्नान का महत्व कई धार्मिक ग्रंथों में भी वर्णित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, उत्तर दिशा ज्ञान, मोक्ष, और सकारात्मक ऊर्जा की दिशा मानी जाती है। इस दिशा में बहती हुई गंगा में स्नान करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ और मानसिक शांति मिलती है।
रिपोर्ट- अंजनी कुमार कश्यप