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‘बिखरते कुनबे’ के साथ ‘दिल्ली’ जीतने निकले लालू, करीबी से लेकर “पैराशूट नेताओं” ने छोड़ा साथ, पहले पत्नी अब बेटे बेटियों को सौंप रहे ‘सियासी’ विरासत

‘बिखरते कुनबे’ के साथ ‘दिल्ली’ जीतने निकले लालू, करीबी से लेकर “पैराशूट नेताओं” ने छोड़ा साथ, पहले पत्नी अब बेटे बेटियों को सौंप रहे ‘सियासी’ विरासत

PATNA : देश में लोकसभा चुनाव को लेकर गहमागहमी है। पहले चरण के प्रचार का शोर थम गया है। इसके बाद कल चुनाव कराये जायेंगे। लेकिन चुनाव से बहुत पहले से लेकर आज तक राजद सुप्रीमो को झटके पर झटके लगते जा रहे हैं। झटके खाते लालू की कहानी विधानसभा में नीतीश सरकार के बहुमत सिद्ध करने के दौरान उस वक्त शुरू हुआ।  जब राजद के तीन विधायक राजद का पाला बदलकर सत्ता पक्ष में जाकर बैठ गए। इसमें मोकामा की विधायक नीलम देवी, शिवहर के विधायक चेतन आनंद और प्रह्लाद यादव शामिल हैं। इसके बाद लालू के झटके खाने का दौरान थमने का नाम नहीं ले रहा हैं। 

राजद के सांसद रहे अशफाक करीम ने एन चुनाव के वक्त पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया। इसके बाद टिकट नहीं मिलने और टिकट बंटवारे से नाराज पूर्व मंत्री और राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने न सिर्फ राजद छोड़ने का एलान किया, बल्कि उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने पार्टी को टाटा कर दिया। इसके बाद बारी आती है बुलो मंडल की। बुलो मंडल ने 2014 की मोदी लहर में भागलपुर से आरजेडी की टिकट पर चुनाव जीता था। 

उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेता शाहनवाज हुसैन को हराया था। हालांकि इसके बाद वो 2019 में भागलपुर से चुनाव हार गए थे और अब 2024 में एक बार फिर इसी सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन महागठबंधन में यह सीट कांग्रेस के कोटे में चली गयी। जिसके बाद बुलो मंडल नाराज चल रहे थे। बुलो मंडल ने न सिर्फ राजद से इस्तीफा दिया, बल्कि उन्होंने जदयू का दामन थाम लिया है।

लालू यादव के सियासी विरासत की बात करें तो तेजस्वी यादव ने अपने पिता की विरासत को संभाल लिया है। पार्टी में भले ही कोई बड़े नेता डिप्टी सीएम नहीं बन पाए। लेकिन तेजस्वी दो बाद डिप्टी सीएम के पद पर विराजमान हो चुके हैं। उनके बड़े बेटे तेजप्रताप यादव दो बार बिहार सरकार में मंत्री बन चुके हैं। वहीँ लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती राज्यसभा जा चुकी हैं। जबकि पिता को किडनी देनेवाली रोहिणी आचार्य इस बार छपरा से चुनाव लड़ रही हैं। इसके पहले भी लालू यादव ने मुख्यमंत्री रहने के दौरान अपनी पत्नी पर भी सियासी भार देने का मन बना लिया लिया था। चारा घोटाले में जब जेल जाने की नौबत आई तो लालू ने अपनी पत्नी को तमाम वरिष्ठ नेताओं के रहते हुए गद्दी सौंप दिया था।  

वंदना शर्मा की रिपोर्ट

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