जननायक कर्पूरी ठाकुर को कभी "कपटी ठाकुर" बोलने वाले लालू यादव आज सबसे बड़े चेला होने का ठोक रहे दावा,परिवार और पार्टी भी श्रेय लेने के होड़ में जुटी...

पटना. जननायक कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती के पूर्व उन्हें भारत रत्न देने की घोषणा के बाद अब सियासतदानों में इसका श्रेय लेने की होड़ मची है. कर्पूरी ठाकुर को अपना राजनीतिक गुरु बताने वाले राजद सुप्रीमो लालू यादव भी दावा करते हैं कि उन्होंने ही सबसे पहले भारत रत्न देने की मांग की थी. हालांकि लालू यादव और कर्पूरी ठाकुर के रिश्तों को लेकर कई तरह की बातें कही जाती हैं. यहां तक कहा जाता है कि किसी दौर में लालू यादव इस कदर कर्पूरी ठाकुर से नाराज थे कि उन्हें कपटी ठाकुर कहा करते थे. वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर ने अपनी किताब 'ब्रदर्स बिहारी' में भी इसका जिक्र है. उनकी किताब की मानें तो लालू यादव निजी रूप से कर्पूरी ठाकुर को कपटी ठाकुर उपनाम से बोलते थे.
हालांकि राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ जयंत जिज्ञासु इन बातों को नकारते हैं. कपटी ठाकुर विवाद को लेकर वह अलग किस्म का दावा करते हैं. जयंत जिज्ञासु की मानते तो लम्बे समय तक यह झूठ फैलाया जाता रहा कि लालू प्रसाद ने कर्पूरी ठाकुर को कपटी ठाकुर कहा क्योंकि उन्होंने ग़रीब सवर्णों के लिए भी उस 26 % आरक्षण में से 3 % देने की व्यवस्था की। जबकि सच का इन बातों से दूर-दूर तक कोई लेनादेना नहीं है। हुआ यूं कि शिवनंदन पासवान को कर्पूरी जी विधानसभा उपाध्यक्ष बनाना चाह रहे थे। और, दूसरी तरफ एक और व्यक्ति अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे। तो तय हुआ कि दोनों के नाम से लॉटरी निकाली जाए। लॉटरी के सहारे उनके चहेते बन गए विधानसभा उपाध्यक्ष। पर, जब पता चला कि लॉटरी में दोनों पर्ची एक व्यक्ति के नाम की ही कर्पूरी जी ने लिख के डलवा दी, बस तभी से वे दूसरे उम्मीदवार द्वारा कपटी ठाकुर बुलाये जाने लगे। लालू प्रसाद का इस प्रसंग से कोई वास्ता ही नहीं। कर्पूरी जी ने अंतिम सांस लालू प्रसाद की गोद में ली।
वहीं लालू यादव और कर्पूरी ठाकुर को लेकर और भी कई किस्म के दावे किए जाते हैं. इसमें यहां तक कहा जाता है कि लालू यादव ने एक बार कर्पूरी ठाकुर को जीप देने से इनकार कर दिया था. उस समय भी दोनों के रिश्ते को लेकर कई तरह की बातों का दावा है. दरअसल, जीप नहीं देने का प्रकरण उस दौर का है जब कर्पूरी ठाकुर 80 के दशक में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष थे. कहा जाता है कि सदन की कार्यवाही के दौरान एक बार उन्हें लंच के लिए आवास जाना था. उन्होंने लालू प्रसाद यादव से से थोड़ी देर के लिए उनकी जीप मांगी. लालू ने पलटकर जवाब दिया कि मेरी जीप में तेल नहीं है. आप दो बार मुख्यमंत्री रहे, एक कार क्यों नहीं खरीद लेते हैं. इसके बाद वे फिर रिक्शा लेकर अपने आवास पर पहुंचे.
वैसे लालू यादव हमेशा से कर्पूरी ठाकुर के बारे में सार्वजनिक मंचों पर उन्हें अपना राजनैतिक आदर्श बताते रहे हैं. लालू अक्सर कहते हैं की जिस सपने को कर्पूरी ठाकुर ने देखा था उसे साकार करने की दिशा में उन्होंने हमेशा प्रयास किया है. यहां तक कि भारत रत्न देने की मांग भी लालू यादव ने खुले तौर पर कई बार की. राजद सांसद मनोज झा ने कहा, कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलना बहुत ही स्वागत योग्य कदम है, लेकिन इसकी पृष्ठभूमि जानने की जरूरत है. कर्पूरी ठाकुर तो लालू यादव के वैचारिक गुरु थे. दो साल पहले तेजस्वी यादव ने पुरजोर तरीके से इसकी मांग की थी कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिले.