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21 साल बाद बदलेगा नेतृत्व, मायावती की जगह बसपा में नए अध्यक्ष का हो सकता है चुनाव, पांच साल होगी पार्टी कार्यकारिणी की बैठक

21 साल बाद बदलेगा नेतृत्व, मायावती की जगह बसपा में नए अध्यक्ष का हो सकता है चुनाव, पांच साल होगी पार्टी कार्यकारिणी की बैठक

LUCKNOW : 27 अगस्त को बसपा की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक होनी हैं । जिसमे बसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव किया जाना है। बसपा के पार्टी संविधान के मुताबिक हर पांच साल पर पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक होती हैं। इससे पहले साल 2019 में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक हुई थी. जिसमे पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को सर्वसम्मति से बसपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था । बता दें कि बसपा में मायावती 2003 से ही पार्टी की अध्यक्ष हैं। लेकिन पिछले कुछ चुनाव में पार्टी का जिस तरह से निराशाजनक प्रदर्शन रहा है। उसके बाद से ही नए नेतृत्व की मांग तेज हो गई है।

वहीं राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक से पहले मायावती का बड़ा बयान सामने आया है। इस बयान मे उन्होने अपने संन्यास लेने के अटकलों को खारिज किया है. उन्होने आज अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट किया हैं और लिखा है कि बहुजनों के अम्बेडकरवादी कारवाँ को कमजोर करने की विरोधियों की साजिशों को विफल करने के संकल्प हेतु बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर एवं मान्यवर श्री कांशीराम जी की तरह ही मेरी जिन्दगी की आखिरी सांस तक बीएसपी के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान मूवमेन्ट को समर्पित रहने का फैसला अटल है। 

उन्होने कहा कि सक्रिय राजनीति से मेरा संन्यास लेने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है। बसपा सुप्रमों ने मीडिया पर भी निशाना साधा है और कहा कि  जबसे पार्टी ने आकाश आनन्द को मेरे ना रहने पर या अस्वस्थ विकट हालात में उसे बीएसपी के उत्तराधिकारी के रूप में आगे किया है, तबसे जातिवादी मीडिया ऐसी फेक न्यूज प्रचारित कर रहे हैं जिससे लोग सावधान रहें। 

हालाँकि पहले भी मुझे राष्ट्रपति बनाए जाने की अफवाह उड़ाई गयी, जबकि मान्यवर श्री कांशीराम जी ने ऐसे ही आफर को यह कहकर ठुकरा दिया था कि राष्ट्रपति बनने का मतलब है सक्रिय राजनीति से संन्यास लेना जो पार्टी हित में उन्हें गवारा नहीं था, तो फिर उनकी शिष्या को यह स्वीकारना कैसे संभव ? 

साथ ही साथ बसपा सुप्रमो ने  2 जून 1995 को लखनऊ में उनके साथ हुए गेस्ट हाउस कांड पर कांग्रेस पर निशाना साधा है और लिखा है कि सपा जिसने 2 जून 1995 में बीएसपी द्वारा समर्थन वापिसी पर मुझ पर जानलेवा हमला कराया था तो इस पर कांग्रेस कभी क्यों नहीं बोलती है? 

जबकि उस दौरान केन्द्र में रही कांग्रेसी सरकार ने भी समय से अपना दायित्व नहीं निभाया था। उन्होने रहा कि मान्य. श्री कांशीराम जी को अपनी बीमारी की गम्भीर हालत में भी हॉस्पीटल छोड़कर रात को इनके गृह मन्त्री को भी हड़काना पड़ा था तथा विपक्ष ने भी संसद को घेरा, तब जाकर यह कांग्रेसी सरकार हरकत में आई थी क्योंकि उस समय केन्द्र की कांग्रेसी सरकार की भी नीयत खराब हो चुकी थी, जो कुछ भी अनहोनी के बाद यहाँ यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाकर, पर्दे के पीछे से अपनी सरकार चलाना चाहती थी, जिनका यह षड़यन्त्र बीएसपी ने फेल कर दिया था। 

साथ ही उन्होने समाजवादी पार्टी पर भी निशाना साधा है और कहा कि  उस समय सपा के आपराधिक तत्वों से बीजेपी सहित समूचे विपक्ष ने मानवता व इन्सानियत के नाते मुझे बचाने में जो अपना दायित्व निभाया है तो इसकी कांग्रेस को बीच-बीच मे तकलीफ क्यों होती रहती है, लोग सचेत रहें। 

इसके अलावा बसपा सुप्रीमों ने जातीय जनगणना के मुद्दे पर अपनी बात रखी है और कहा है कि बीएसपी वर्षों से जातीय जनगणना के लिए पहले केन्द्र में कांग्रेस पर और अब बीजेपी पर भी अपना पूरा दबाव बना रही है, जिसकी पार्टी वर्षों से इसकी पक्षधर रही है तथा अभी भी है। लेकिन जातीय जनगणना के बाद, क्या कांग्रेस SC, ST व OBC वर्गों का वाजिब हक दिला पायेगी? जो SC/ST आरक्षण में वर्गीकरण व क्रीमीलेयर को लेकर अभी भी चुप्पी साधे हुए है, जवाब दे।

REPORT - RITIK KUMAR

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