बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

लक्ष्मण टीले को तोड़कर बना था लखनऊ का प्रसिद्ध टीला मस्जिद :अब कोर्ट करेगा फैसला, हिन्दू पक्ष की याचिका को किया मंजूर

लक्ष्मण टीले को तोड़कर बना था लखनऊ का प्रसिद्ध टीला मस्जिद :अब कोर्ट करेगा फैसला, हिन्दू पक्ष की याचिका को किया मंजूर

LUCKNOW : नवाबों की नगरी लखनऊ के प्रसिद्ध लक्ष्मण टीला को लेकर आज कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। यहां सिविल कोर्ट ने टीले वाली मस्जिद पर मुस्लिम पक्ष की रिवीजन याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी। मुस्लिम पक्ष ने यह अपील की थी कि मामले में हिन्दू पक्ष की ओर से मंदिर तोड़कर मस्जिद निर्माण को लेकर कोर्ट  फैसला करे, उसे खारिज कर दे। जिस कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को झटका देते हुए फैसला हिंदू पक्ष की तरफ दिया है। कोर्ट ने कहा हिंदू पक्ष का मुकदमा चलने योग्य है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने हिंदू पक्ष की तरफ से कोर्ट में बताया गया था कि औरंगजेब के समय में लक्ष्मण टीला ध्वस्त कर वहां पर टीले वाली मस्जिद बनाई गई थी. प्रमाण के रूप में मस्जिद की दीवार के बाहर शेष नागेश पाताल एवं शेषनागेश तिलेश्वर महादेव एवं अन्य मंदिर स्थित हैं।

सर्वे  कराने की हुई थी मांग

हिंदू पक्ष का यह भी कहना था कि टीले वाली मस्जिद के अंदर भगवान शेषनाग का मंदिर है, जिसे नष्ट किया जा रहा है. मस्जिद की बाउंड्री के बाहर अब भी शेषनाग पटल कूप, शेषनागेश तिलेश्वर महादेव मंदिर और पुराने हिंदू मंदिर आज भी मौजूद हैं. हिंदू पक्ष यह भी चाहता है कि इस मस्जिद का भी सर्वे किया जाए, ताकि पूरी स्थिति साफ हो सके.

साल 2013 में लखनऊ की सेशन कोर्ट में भगवान शेषनागेश तिलेश्वर महादेव विराजमान की तरफ से याचिका दाखिल कर कहा गया था कि लखनऊ की टीले वाली मस्जिद असल में लक्ष्मण टीला है और उन्हें यहां का मालिकाना हक और पूजा का अधिकार दिया जाए. इस याचिका में यह भी कहा गया था कि यहां लक्ष्मण टीला और मंदिर था, लेकिन औरंगजेब के कहने पर इसे तोड़ दिया गया और यहां टीले वाली मस्जिद बना दी गई. अब कोर्ट में इस पर फैसला होगा।

एक माह में ऐसा तीसरा मामला

बीते दिनों वाराणसी के ज्ञानवापी और बागपत के लाक्षागृह पर आए कोर्ट के फैसले के बाद लखनऊ के लक्ष्मण टीला विवाद ने भी जोर पकड़ लिया है। वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा-पाठ के आदेश दिए थे, जिसके बाद वहां पूजा-पाठ शुरू हो गई है. वहीं बागपत कोर्ट ने पांडवों के लाक्षागृह या सूफी संत शेख बदरुद्दीन की मजार को लेकर चल रहे मुकदमे पर 54 साल बाद फैसला सुनाया था. कोर्ट ने पूरी जगह को पांडवों का लाक्षागृह माना था और मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया था।

REPORT - MD. ASIF KHAN

Editor's Picks