मगध इंटरनेशनल स्कूल टिकारी ने दी अपने पूर्व शिक्षक को श्रद्धांजलि, अभिषेक शांडिल्य की सेवाओं और समर्पण का किया स्मरण

पटना. मगध इंटरनेशनल स्कूल, टिकारी ने अपने पूर्व शिक्षक को श्रद्धांजलि देने के लिए मंगलवार को एक कार्यक्रम आयोजित किया। 'अभिषेक कुमार शांडिल्य' जो विद्यालय में अंग्रेजी साहित्य के मेधावी और रचनात्मक ऊर्जा से लबरेज शिक्षक थे उनका निधन कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मगध मेडिकल कालेज में हो गया था। स्व शांडिल्य अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में पूरी पकड़ रखते थे और उनकी रचनाओं को पढ़कर उनकी कलम की ताकत और शब्दों की मारक क्षमता का सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है।
कार्यक्रम की शुरूआत स्व शांडिल्य की तस्वीर पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि से हुआ। स्कूल निदेशक सुधीर कुमार, सहायक निदेशक अमित कुमार झा, सुनील पाठक के साथ सभी शिक्षकों, छात्र छात्राओं व अन्य कर्मियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी ।
निदेशक सुधीर कुमार ने कहा कि अभिषेक मेरे छोटे भाई की तरह था। विद्यालय के एक एक हिस्से से उसकी यादें जुड़ी हैं। उसकी स्मृतियाँ, उसकी संवेदनशीलता और दूसरों के प्रति उसका नरम व्यवहार हमें हमेशा भावुक करता रहेगा। कितना संवेदनशील था वह ,वह इससे समझा जा सकता है कि अपनी मृत्यु के पहले उसने लिखा- "अब बस हम बाकी हैं खिलने को, उस परम पिता से मिलने को। ऐ जिंदगी, तू आज बता दे तू है क्या, तू है हसीन ख्वाब या है कोई बला।"
वहीं अमित कुमार झा ने उनकी स्मृतियों को समेटते हुए कहा कि अभिषेक मेरा सहकर्मी था। अंग्रेजी साहित्य से दोनों जुड़े थे परन्तु आज यह कहते मुझे कतई संकोच नहीं है कि वह शिक्षक कम कवि ज्यादा था। उसकी गंभीरता को उसकी प्रकाशित किताबों से समझ जा सकता है तो उसकी संवेदनशीलता को उसकी ही पंक्तियों से याद करते हुए उसे दिल की गहराइयों से अपना नमन भेजता हूं। अभिषेक की यह पंक्तियाँ हम सब को रुला देने के लिए काफी है कि वह मौत के आगोश में भी कैसे अपनी रचनात्मकता को अपनी आत्मा से लपेटे था।जब वह लिखता है ,"हम भले हीं हार जाएँ और तुम जीत जाओ, वक्त की तरह एक बस जरा तुम बीत जाओ।" वरिष्ठ व हिंदी से गहरे जुड़ाव रखने वाले शिक्षक सुनील पाठक ने स्व अभिषेक को याद करते हुए उन्हें रचनात्मक संभावनाओं से भरा ऐसा धूमकेतु बताया जिसने अपनी प्रतिभा का उजाला बिखेरा ही था कि अनन्त आकाश में विलीन हो गया।
टिकारी नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष अमित वर्मा' ने उन्हें एक सहृदय शिक्षक और प्रतिभावान कवि बताया। वर्मा के अनुसार स्व शांडिल्य न केवल हिंदी अंग्रेजी में कविता की प्रभावशाली रचना करते थे ,बल्कि वे एक अच्छे संवेदनशील कलाकार थे जो अच्छा गाते और अच्छा नाचते भी थे। वर्मा ने इस आयोजन के लिए स्कूल प्रबंधन और विशेष रूप से निदेशक सुधीर की प्रशंसा की । उन्होंने कहा कि कोरोना काल ने काल बनकर हम टिकारी वासियों से स्व शांडिल्य के अतिरिक्त कई सामाजिक व्यक्तित्वों को छीन लिया था जिसमें बेल्हडिया पंचायत के सामाजिक कार्यकर्ता मो अरसद राइन, टिकारी राज इण्टर स्कूल के तत्कालीन प्राचार्य स्व दौलत प्रसाद और शहर के ख्यात शिक्षक वीर्या प्रसाद आदि शामिल हैं। मैं इस बात के लिए सुधीर सर की प्रशंसा करता हूँ कि उन्होंने आज के व्यवसायिक दौर में भी अपने एक सहकर्मी को इस तरह से याद करके ,उनकी यादों को सहेजकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है.
वहीं कई छात्रों ने कहा कि शांडिल्य सर एक पिता की तरह के शिक्षक थे जो ऊपर से सख्त और भीतर से बेहद मुलायम । वे हमारी देखभाल तीखी धूप से छतरी की तरह करते थे। साथ ही वे कई बार मजाकिया हो जाते ,जो आज भी याद आ जाते हैं।