PATNA: बिहार विधानसभा चुनाव में पटना साहिब किसी हॉट सीट से कम नहीं है। हॉट इसलिए भी क्योंकि राजधानी के साथ साथ इस सीट पर भाजपा का पिछले 25 साल से कब्जा है। लेकिन हकीकत यह भी है कि 1995 से कब्जा जमाए नंद किशोर यादव को साल 2015 के विधानसभा चुनाव में पसीने छूटने लगे थे। उन्होंने बहुत ही कम मतों के अंतर से राजद के संतोष मेहता को पटखनी दी थी। नंद किशोर यादव को 88,108 वोट मिले थे जबकि मेहता को 85,316 वोट मिले थे। कोरोना काल में चुनाव के स्वरूप और परिणाम पर मतदाता की अहम भूमिका होगी।
भाजपा-जदयू के खिलाफ महागठबंधन की लड़ाई के बीच प्रवीण सिंह कुशवाहा लगातार जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं। मतदाताओं को वोट करने की अपील कर रहे हैं। मंगलवार को छोटी नगला, बड़ी नगला, जमुनापुर, मथनी टाल, मंगल आखाड़ा, सावर चक होते हुए पटना साहिब के लोगों से मुलाकात करते हुए परिवर्तन की मांग करते हुए वोट करने की अपील की। इस जनसंपर्क अभियान में प्रवीण सिंह कुशवाहा को अपार जनसमर्थन मिल रहा है। मीडिया से बात करते हुए प्रवीण सिंह कुशवाहा ने कहा कि यदि आपको लगता है कि 25 साल बाद परिवर्तन होना चाहिए तो हमारा एक बार साथ दें।
एक मौका पांच साल, बदल दूंगा सूरतेहाल। आपको बता दें कि पटना साहिब सीट पर ढाई दशक से बीजेपी का भगवा झंडा ही लहराता रहा है। 1995 में नंदकिशोर यादव वहां से पहली बार जीतकर विधान सभा पहुंचे। उसके बाद आज तक इस सीट पर कोई दूसरा उम्मीदवार नहीं जीत सका। नंद किशरो यादव बिहार सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। हालांकि, 2015 के बिहार विधान सभा चुनाव में जब लालू-नीतीश ने गठजोड़ कर महागठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था। तब भी नंदकिशोर यादव जीतने में कामयाब रहे। उन्होंने बहुत ही कम मतों के अंतर से राजद के संतोष मेहता को पटखनी दी थी।
नंद किशोर यादव को यादव को 88,108 वोट मिले थे जबकि मेहता को 85,316 वोट मिले थे. बीजेपी को कुल 46.89 फीसदी जबकि राजद को 45.40 फीसदी वोट मिले थे। इस सीट पर वैश्य, कोयरी-कुर्मी और यादव मतदाताओं के साथ साथ मुस्लिमों की भी अच्छी आबादी है। साढ़े तीन लाख वोटर वाले इस क्षेत्र में वैश्य समाज का 80 हजार वोट है। यादवों का वोट भी 50 हजार से ज्यादा है। कोयरी का वोट 48 हजार और कुर्मी वोट 16 हजार के करीब है। करीब 43 हजार वोट मुस्लिमों के हैं। इलाके में 54 फीसदी पुरुष वोटर हैं।
पटना से कुमार गौतम की रिपोर्ट