छपरा - देश में लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने के बाद सभी राजनीतिक दल चुनावी महासमर में अपनी विजयी पताका फहराने को लेकर अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं। बिहार में एनडीए द्वारा सभी 40 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा करने के बाद महागठबंधन ने भी सीट शेयरिंग का मसला सुलझाते हुए चुनावी महासमर में अपनी विजयी पताका लहराने को लेकर ताल ठोक दी है। इस चुनावी महासमर में बिहार में मिनी चितौड़गढ़ के नाम से पहचाने जाने वाली महाराजगंज लोकसभा सीट से इस बार चुनावी रण में चार दशकों बाद से एक बार फिर से कांग्रेस चुनावी मैदान में हैं।
सारण जिले की चार एवं सीवान जिले की दो विधानसभा क्षेत्रों से मिलकर बने महाराजगंज लोकसभा सीट महागठबंधन में सीट बंटवारे के बाद इस बार कांग्रेस के खाते में है। यहां से आखिरी बार 1984 में कांग्रेस ने विजयी पताका लहराई थी । महाराजगंज लोकसभा सीट पर हुए अब तक के चुनावों में कांग्रेस ने पांच बार विजय श्री प्राप्त की है। जिसमें 1957 में महेंद्र सिंह,1962 में कृष्णकांत सिंह,1967 में मृत्युंजय प्रसाद, एवं 1980,1984 में कृष्ण प्रताप सिंह कांग्रेस से सांसद निर्वाचित हुए हैं।चार दशकों बाद फिर से महाराजगंज के चुनावी रण में उतरी कांग्रेस के लिए अपने खोए हुए साम्राज्य को प्राप्त करना आसान नहीं होगा। कांग्रेस को यहां भाजपा के उम्मीदवार एवं वर्तमान सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल से कड़ी चुनौती मिलेगी।
साल 2014एंव 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल महाराजगंज लोकसभा से विजयी रहे हैं। भाजपा ने एक बार फिर से सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल पर भरोसा जताते हुए उम्मीदवार बनाया है। अब देखना दिलचस्प होगा की महाराजगंज लोकसभा सीट से जनता भाजपा के सिर जीत की हैट्रिक का ताज पहनाती है या चार दशकों बाद फिर से महाराजगंज लोकसभा सीट पर वापसी करने वाली कांग्रेस पर विश्वास जताती है।
रिपोर्ट- शशि भूषण सिंह