DESK: भारत में आज धूमधाम से महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जा रहा है। आज अलहे सुबह से ही भगवान शिव की मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए भीड़ एक्ठ्ठा हो गई है। लाखों भक्त बाबा की दर्शन कर रहे हैं। सभी मंदिरों में महाशिवरात्रि को लेकर विशेष तैयारियां भी की गई। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की अराधना कर आज अपने सभी मनोकामनाओं को पूर्ण कर सकते हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव बड़े ही भोले हैं और वह अपने भक्तों से जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। वहीं कारण है कि भक्त उन्हें भोला बाबा भी कहते हैं। आइए जानते हैं कि आप महाशिवरात्रि की पूजा कब कब कर सकते हैं।
शास्त्रों के अनुसार महादेव की पूजा मुख्य रुप से शाम के बाद की जाती है। शाम के बाद चार प्रहर में आप महादेव की पूजा अर्चना कर विशेष फल की प्राप्ति कर सकते हैं। रात्रि प्रथम प्रहर पूजा की शुरुआत - शाम 06:25 - रात 09:28तक, रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - रात 09:28 - 9 मार्च, प्रात: 12.31, रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - प्रात: 12.31 - प्रात: 03.34, तो वहीं रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - प्रात: 03.34 - प्रातः 06:37 तक है। 8 मार्च 2024 को शिव पूजा में जलाभिषेक के लिए प्रदोष काल मुहूर्त शाम 06.25 से रात 08.52 तक है।
दरअसल, धार्मिक मान्यता है कि शिवरात्रि के पूरे दिन शिवलिंग में भोलेनाथ विराजमान होते हैं लेकिन रात्रि काल में पूजा खास महत्व रखती है। इस दिन आधी रात में ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। भोलेनाथ के निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि कहलाती है। महाशिवरात्रि का व्रत रखने से व्यक्ति के मन में हो रही उथल-पुथल शांत होती है। साधक आध्यात्म की ओर जाने में अग्रसर होता है। शिव कृपा से उसकी तमाम परेशानियों का अंत होता है, वह जीवनभर भौतिक सुखों को प्राप्त कर, मृत्यु के पश्चात स्वर्ग में स्थान पाता है।
गौरतलब हो कि शिव पूजा का सबसे बड़ा पर्व महाशिवरात्रि है। शिव पुराण के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन शिव जी पहली बार शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे। इस दिन माता पार्वती और शंकर जी के विवाह की भी मान्यता है। भोलेनाथ ने इसी दिन वैराग्य छोड़कर गृहस्थ जीवन में कदम रखा था और देवी पार्वती से शादी रचाई थी। महाशिवरात्रि पर शिवलिंग का जलाभिषेक करने से व्यक्ति के समस्त संकट दूर हो जाते हैं और उसकी मनोकामनाएं जल्द पूरी होती।