बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

संसदीय व्यवस्था पर महुआ मोइत्रा ने उठाया सवाल, मोइत्रा ने एथिक्स कमेटी पर लगाए 'वस्त्रहरण' के आरोप, टीएमसी सांसद ने किया वॉकआउट

 संसदीय व्यवस्था पर महुआ मोइत्रा ने उठाया सवाल, मोइत्रा ने एथिक्स कमेटी पर लगाए 'वस्त्रहरण' के आरोप, टीएमसी सांसद ने किया वॉकआउट

डेस्क- रिश्वत लेकर सवाल पूछने  के मामले में जांच का सामना कर रहीं तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने एथिक्स कमेटी पर ही सवाल उठा दिए हैं। उन्होंने कमेटी के अध्यक्ष सांसद विनोद कुमार पर अनैतिक सवाल पूछने के आरोप लगाए हैं।लोकसभा एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष भाजपा कौशांबी से सांसद विनोद कुमार सोनकर हैं। इसी के साथ इनमें भाजपा के विष्णु दत्त शर्मा, सुमेधानंद सरस्वती, अपराजिता सारंगी, डॉ. राजदीप रॉय, सुनीता दुग्गल और सुभाष भामरे; कांग्रेस के वी वैथिलिंगम, एन उत्तम कुमार रेड्डी, बालाशोवरी वल्लभनेनी, और परनीत कौर; शिवसेना के  हेमंत गोडसे; जद (यू) के गिरिधारी यादव; सीपीआई (एम) के पीआर नटराजन और बीएसपी के दानिश अली समिति के सदस्य हैं।मोइत्रा ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि पैसे लेकर सवाल पूछने से संबंधित आरोपों को लेकर आचार समिति के समक्ष पेशी के दौरान उनके साथ 'अनैतिक, अशोभनीय, पूर्वाग्रहपूर्ण' व्यवहार किया गया। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर ने मामले से संबंधित सवाल पूछने के बजाय, दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक तरीके से उनसे सवाल करके पूर्वनिर्धारित पूर्वाग्रह प्रकट किया।

मोइत्राने कहा कि  'मैं आज बहुत व्यथित होकर आपको पत्र लिख रही हूं ताकि आपको आचार समिति की सुनवाई के दौरान समिति के अध्यक्ष द्वारा मेरे साथ किए गए अनैतिक, घृणित और पूर्वाग्रहपूर्ण व्यवहार के बारे में जानकारी दे सकूं। मुहावरे की भाषा में कहूं तो उन्होंने समिति के सभी सदस्यों की उपस्थिति में मेरा वस्त्रहरण किया।' तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने  कहा, 'समिति को खुद को आचार समिति के अलावा कोई और नाम देना चाहिए क्योंकि इसमें कोई आचार और नैतिकता नहीं बची है। विषय से संबंधित प्रश्न पूछने के बजाय, अध्यक्ष ने दुर्भावनापूर्ण और स्पष्ट रूप से अपमानजनक तरीके से मुझसे सवाल पूछकर पहले से तय पूर्वाग्रह का प्रदर्शन किया। इस दौरान उपस्थित 11 सदस्यों में से पांच ने उनके शर्मनाक आचरण के विरोध में बहिर्गमन करते हुए कार्यवाही का बहिष्कार किया।'महुआ पर 'कैश फॉर क्वेरी' का आरोप लगाने वाले बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि विपक्षी सांसदों का वॉकआउट करना महुआ के मामले से ध्यान भटकाने की कोशिश है।

 बता दें कि इससे पहले महुआ मोइत्रा ने लोकसभा की एथिक्स कमेटी के अधिकार क्षेत्र पर ही सवाल उठा दिया है। उन्होंने एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष को चिठ्ठी लिख कर कहा है कि संसदीय समितियों को आपराधिक मामलों में जांच का कोई अधिकार नहीं है, अपराधिक मामलों की जांच सिर्फ जांच एजेंसियां ही कर सकती हैं। यह वही महुआ मोइत्रा है, जो कल तक गौतम अडानी पर आरोप लगा कर संयुक्त संसदीय समिति से जांच करवाने की मांग कर रही थीं। 

असल में महुआ को डर सता रहा है कि उनकी लोकसभा सदस्यता जाने वाली है, क्योंकि खुद पर लगाए गए आरोपों में से ज्यादातर उन्होंने एथिक्स कमेटी के सामने जाने से पहले ही कुछ टीवी चेनलों को दिए इंटरव्यू में कबूल कर लिए हैं। अभी कुछ और बातें भी सामने आ रही हैं, जैसे उन्होंने बिना लोकसभा सचिवालय को सूचित किए दुबई की 47 यात्राएं की थीं। इन 47 यात्राओं के टिकटों का मामला भी सामने आ रहा है, जो कथित तौर पर उनके अकाऊंट से नहीं खरीदी गई थीं।उनकी ताज़ा चिठ्ठी इस बात का संकेत है कि उन्हें संसद से बर्खास्त किए जाने की सिफारिश का अंदेशा है।  एथिक्स कमेटी को लिखी चिठ्ठी में उन्होंने उनके खिलाफ हल्फिया बयान देने वाले दर्शन हीरानन्दानी के सामने बैठ कर काउन्टर सवाल किए जाने की इच्छा जताई है।यह एक ऐसी इच्छा है कि अगर एथिक्स कमेटी उनकी यह मांग पूरी नहीं करती, तो उनके सुप्रीमकोर्ट जाने का रास्ता खुलेगा। 

बता दें साल 2005 में जब संसद से प्रस्ताव पास करके 11 सांसदों की सदस्यता खत्म की गई थी, तो वे सुप्रीम कोर्ट गए थे। उनकी तरफ से वैसे तो प्राणनाथ लेखी प्रमुख वकील थे,र राम जेठ जेठमलानी भी पेश हुए थे। चीफ जस्टिस वाई.के. सब्बरवाल की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय पीठ ने सुनवाई की थी। पीठ में तीन बनाम दो जजों के बहुमत के आधार पर सुप्रीमकोर्ट ने सांसदों की याचिका अस्वीकार कर दी थी।एक तरह से सुप्रीमकोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच यह स्वीकार कर चुकी है कि संसद को अपने सदस्य को बर्खास्त करने का अधिकार है। हालांकि इससे पहले भी तीन सांसद बर्खास्त किए जा चुके थे। सबसे पहले 1951 में कांग्रेस के सांसद एच. जी. मुद्गल को पैसे लेने के आरोप में, 1976 में आपातकाल के दौरान सुब्रहमन्यम स्वामी को देश विरोधी प्रोपेगंडा के आरोप में (हालांकि वह भारत में लगाए गए आपातकाल के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे), 1977 में इंदिरा गांधी की सदस्यता खत्म की गई थी। 2005 में लोकसभा के दस और राज्यसभा के एक सांसद के बाद 2016 में विजय माल्या की सदस्यता भी प्रस्ताव पास करके खत्म की जा चुकी है।

 महुआ मोइत्रा तो खुद कबूल कर चुकी हैं कि उन्होंने संसद के पोर्टल में लॉगिन के लिए अपना पासवर्ड दर्शन हीरानंदानी को दिया था, वह उनकी दी गई हवाई टिकटों पर विदेश यात्राएं करती थीं, उनसे महंगे गिफ्ट लेती थी। दर्शन हीरानन्दानी ने कहा है कि महुआ आए दिन कोई न कोई डिमांड रखती रहती थी। उनके सवाल लोकसभा की वेबसाईट पर दर्शन हीरानन्दानी का स्टाफ लोड करता था। बहरहाल महुआ मोइत्र  संसदीय व्यवस्था पर ही सवाल उठा रही हैं। अब देखना होगा आगे क्या होता है। अब इसपर राजनीति भी तेज हो गई है.

Suggested News