आदि शंकराचार्य के प्राकट्य दिवस पर गोवर्धन मठ पुरी से निकलेगी मनसा माता की शोभा यात्रा, 24 मई को होगी प्राण प्रतिष्ठा

N4N DESK : पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती की जन्मभूमि में निर्मित मनसा देवी मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए प्रतिमा की शोभा यात्रा निकलने को तैयार है। 25 अप्रैल को वैशाख शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को आदि शंकराचार्य के प्राकट्य दिवस पर शोभा यात्रा गोवर्धन मठ, पुरी से निकलेगी। काले पत्थर से निर्मित मनसा देवी की प्रतिमा की आकर्षक शोभा यात्रा उड़ीसा प्रांत के कटक, बालासोर होते हुए झारखंड के जमशेदपुर में रात्रि विश्राम करेगी। शोभा यात्रा के कार्यक्रम प्रभारी हेमचन्द्र झा ने बताया कि 26 अप्रैल को शोभा यात्रा पश्चिम बंगाल के आसनसोल में रूकेगी।
शोभा यात्रा का आयोजन
27 अप्रैल को चितरंजन होते हुए शोभा यात्रा शिव की नगरी देवघर पहुंचेगी। इस दिन रात्रि में भागलपुर के नवगछिया में शोभा यात्रा विश्राम लेगी। 28 अप्रैल को शोभा यात्रा बेगूसराय होते हुए रोड़ा में रात्रि विश्राम करेगी। 29 अप्रैल को जानकी नवमी के दिन मधुबनी के प्रसिद्ध सौराष्ट्र सभा पहुंचेगी। फिर दरभंगा नगर भ्रमण करते हुए मनसा देवी की शोभा यात्रा देर संध्या अपने गंतव्य मधुबनी के हरिपुर बख्शी टोल पहुंचेगी। शोभा यात्रा में तीन फीट ऊंची मनसा माता की प्रतिमा के अलावा लक्ष्मी-गणेश, नव ग्रहों की 9 प्रतिमाएँ, 10 महाविद्या की प्रतिमाएँ, नौ दुर्गा की 9 प्रतिमाएँ, महिषासुर मर्दिनी, स्कन्द माता (पार्वती), स्कन्द भगवान( कार्तिकेय) और चण्डिका भवानी की प्रतिमाएँ भी होंगी। डेढ़ फीट ऊंची काले पत्थर की ये प्रतिमाएं मनसा देवी मन्दिर में स्थापित होंगी। इनके अतिरिक्त मनसा देवी माता की अष्टधातु से बनी 35 किलोग्राम वजन की एक चल प्रतिमा भी होगी जो विभिन्न अवसरों पर झांकी आदि के रूप में भ्रमण करेंगी। मन्दिर की संस्थापक संस्था शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट की संस्थापक सचिव प्रोफेसर इंदिरा झा ने बताया कि शोभा यात्रा उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार चार राज्यों का परिभ्रमण करेगी। उन्होंने बताया कि मन्दिर के गर्भगृह में मनसा देवी की मुख्य प्रतिमा के साथ काले पत्थर की कुल 37 प्रतिमाएँ होंगी। साढ़े तीन फीट के सिंहासन पर विराजमान तीन फीट ऊंची मनसा माता की प्रतिमा के चारों ओर गर्भगृह की दीवारों पर बने खांचों में डेढ़ फीट की अन्य प्रतिमाएँ स्थापित होंगी। मनसा देवी के ठीक सामने स्तम्भ पर शेर की प्रतिमा शोभा बढ़ाएगी।
भुवनेश्वर के लिंगराज मन्दिर की तर्ज पर बना है मनसा देवी मन्दिर
आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार पीठों में पूर्वाम्नाय ॠग्वेदीय गोवर्द्धन मठ पुरी पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती की जन्मस्थली बिहार के मधुबनी जिले के हरिपुर बख्शीटोल में भुवनेश्वर के लिंगराज मन्दिर की तर्ज पर उड़ीसा शिल्प शैली में यह मन्दिर बनाया गया है। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती स्वयं 24 मई को इसका उद्घाटन करेंगे। प्रोफेसर इंदिरा झा ने बताया कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और बिहार के मुख्यमंत्री समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों, बिहार के राज्यपाल और देश- विदेश के कई प्रमुख लोगों को आमंत्रण भेजा गया है।
कई कार्यक्रमों का होगा आयोजन
अमेरिका, यूरोप, नेपाल समेत कई देशों के सनातनी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस अवसर पर 16 से 24 मई तक शतचण्डी यज्ञ, देवी भागवत कथा, विशाल धर्मसभा, सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसे कई आयोजन होंगे। तीन गुम्बद वाले इस मन्दिर का मुख्य गुम्बद जमीन से 59 फीट ऊंचा है। अन्य गुम्बद क्रमशः 35 और 23 फीट के हैं। गुम्बदों पर शेरों की आकृतियां बनी हैं। गुम्बदों पर पीतल के कलश, चक्र और त्रिशूल स्थापित किए जा रहे हैं। निर्माण समिति से जुड़े इंजीनियर प्रभाष चंद्र झा ने बताया कि गर्भगृह लाल ईंट को तराशकर बना है। गर्भगृह की दीवारें चार फीट मोटी हैं। 70 फीट लंबा और 33 फीट चौड़ाई वाला यह मन्दिर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती की सिद्धस्थली सती माई स्थान पर बना है। नवनिर्मित मन्दिर से सटे 350 साल प्राचीन सती माई स्थान पर वर्तमान शंकराचार्य को अपने बाल्यकाल में ही सिद्धि प्राप्त हो गयी थी। स्वयं शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती जी ने कई अवसरों पर इस बात को उद्धृत किया है। नवनिर्मित मनसा देवी मन्दिर के बगल में 15 एकड़ में फैला प्राचीन सतियार पोखर है।
वंदना शर्मा की रिपोर्ट