वोटर लिस्ट से कटा तेजस्वी यादव का नाम, बुरा फंसा चुनाव आयोग, सबूत दिखाकर राजद नेता ने घेरा
पुनरीक्षण अभियान के तहत करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं. विपक्ष की ओर से इसे एक बड़ी साजिश करार दिया जा रहा है. इस बीच तेजस्वी यादव का नाम भी वोटर लिस्ट से गायब हो गया है.

Tejashwi Yadav: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर विपक्ष की ओर से उठाये गए सवालों के बीच नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का नाम ही वोटर लिस्ट से कट गया है. तेजस्वी यादव जो पटना के दीघा विधानसभा क्षेत्र से मतदाता हैं उन्होंने शनिवार को मीडिया के सामने आकर सबूत दिखाया कि उनका नाम वोटर लिस्ट में नहीं है. उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट से हम आग्रह करेंगे कि ऐसे लाखों वोटरों का नाम कटा है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट संज्ञान ले और चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण ले.
बकायदा तेजस्वी ने स्क्रीन पर epic no डाल कर दिखाया. लेकिन उसमें NO RECORDS FOUND दिखा रहा है. तेजस्वी ने इसे गंभीर स्थिति बताते हुए कहा कि अब बड़ा सवाल है कि मैं कैसे लड़ूँ चुनाव. चुनाव लड़ने के लिए वोटर होना जरूरी होता है. उन्होंने कहा कि SIR के पहले दिन से ही इसमें ट्रांसपेरेंसी नहीं रखी गई. बिना पॉलीटिकल पार्टी को बताए निर्णय लिया गया. विपक्ष ने सवाल उठाये लेकिन हमारी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. हमारी शिकायत और सुझाव को नहीं माना गया. सुप्रीम कोर्ट के सुझाव को भी अनदेखी किया गए.
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने हमेशा कहा किसी का नाम नहीं कटेगा. अब मेरा ही नाम वोटर लिस्ट से गायब है तो बिहार के ऐसे अन्य मतदाता भी होंगे जिनका नाम वोटर लिस्ट से गायब हो गया है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने आश्वासन दिया था मतदाता सूची से नाम हटाए गए लोगों का कारण बताया जाएगा. उन्होंने कहा कि हमारा डेलिगेशन कल चुनाव आयोग गया, अपनी बात रखी. लेकिन हमारी बातों को अनसुना किया गया. हर विधानसभा क्षेत्र से 20 हजार से 30 हजार तक नाम काटे गए. चुनाव आयोग ने चालाकी और साजिश की. नाम काटने में न बूथ का नाम बताया न ही वोटर्स का पता बताया गया.
65 लाख से ज्यादा का कटा नाम
बिहार में चुनाव आयोग द्वारा हालिया पुनरीक्षण अभियान के तहत करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। आयोग के अनुसार, ये नाम या तो दोहराव, मृतक, स्थान परिवर्तन या फर्जी पाए गए थे। इस कार्रवाई को लेकर राज्य भर में राजनीतिक बहस छिड़ गई है। विपक्षी दलों ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया है, वहीं चुनाव आयोग ने प्रक्रिया को पारदर्शी और नियमों के अनुरूप बताया है।
रंजन की रिपोर्ट