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वरिष्ठ पत्रकार एस ए शाद की याद में स्मृति-समारोह का हुआ आयोजन, कई पत्रकारों को किया गया सम्मानित

वरिष्ठ पत्रकार एस ए शाद की याद में स्मृति-समारोह का हुआ आयोजन, कई पत्रकारों को किया गया सम्मानित

PATNA : वरिष्ठ पत्रकार एस ए शाद की याद में स्मृति-समारोह का आयोजन 'पटना रिपब्लिक' के सौजन्य से किया गया। इस मौके पर सबसे पहले शाद साहब के तस्वीर पर पुष्पांजलि की गयी। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ रंगकर्मी जयप्रकाश किया। इस अवसर पर दो युवा पत्रकारों- दैनीक भास्कर' से जुड़े पत्रकार अशोक प्रियदर्शी और स्वतंत्र पत्रकार उमेश कुमार राय को द्वितीय शाद स्मृति सम्मान से सम्मनित किया गया। दोनों पत्रकारों का परिचय देते हुए अमित कुमार ने बताया कि अशोक प्रियदर्शी नवादा में दैनिक भास्कर के जिला प्रमुख है। जिन्होंने अपनी पत्रकारिता से अवैध खनन के मामले को उजागर किया है। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर ठोस तरीके से पत्रकारिता की है। स्वतंत्र पत्रकार उमेश कुमार ने बीते कई वर्षों से जनपक्षीय पत्रकारिता की है। बीते कोरोना काल में जब बिहार सरकार आंकड़े छुपा रही थी। तब उमेश कुमार ने अपनी रिपोर्ट के माध्यम से उजागर किया था। 

इस अवसर पर "कोरोना काल में पत्रकारिता" विषय पर परिचर्चा का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में अंग्रेजी अख़बार द हिन्दू से बिहार ब्यूरो चीफ अमरनाथ तिवारी ने कहा कि शाद साहब की पत्रकारिता से हम बहुत कुछ सीखते हैं। आज के दौर में पत्रकारिता मात्र नौकरी की तरह हो गयी है। इसमें कई तरह के दबाव हो गया है। कोरोना काल में पत्रकारों को रोज अपने नौकरी बचाने का संकट है। परिवार भी चलाना है। ग्राउंड पर कस्बाई और ग्रामीण पत्रकार ही असली पत्रकारिता करते हैं। इस मुश्किल दौर में स्टोरी लिखने से चूकना नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया के वरिष्ठ पत्रकार अभय कुमार सिंह ने कहा कि ऐसा नहीं लगता कि शाद जी नहीं है। उनकी तस्वीर देखने पर ऐसी जीवंत लगती है लगता है जैसे आसपास है। मौत के आंकड़े दिखाने पर दैनिक भास्कर पर इनकम टैक्स का छापा डलवाकर उसे खत्म कर दिया। इस दौर में पत्रकारों की रिपोर्टिंग पर न सरकार न समाज कोई प्रतिक्रिया नहीं आती है। सरकार पैसा देकर संस्थान को ध्वस्त करती है। गाँव में लोग पूछते हैं कि आपका रेट क्या है। 

बिहार मेल नामक वेब पोर्टल से जुड़े युवा पत्रकार विष्णु नारायण ने बताया कि पटना में आने के बाद शाद साहब से पटना रिपब्लिक में शाद साहब से एक-आध बार मिला। कोरोना काल में जिस प्रकार लोगों का जीवन बदला उसी तरह पत्रकारिता भी बदल गया। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक निवेदिता झा ने कहा कि दोस्तों को कोई स्मृति में याद रखना भयावह होता है। मगर बीते कोरोना दौर में कई दोस्त स्मृति के हिस्सा हो गये। यह पत्रकारिता का बुरा दौर है। नयी पीढ़ी हमेशा पुरानी पीढ़ी से ज्यादा रचनात्मक और काबिल होती है। शारीरिक दूरी को सामाजिक दूरी बताया गया। खबरों को रोकने का प्रयास किया गया। आंकड़े को पूरी तरह रोक दिया गया। निवेदिता ने बताया कि कोरोना काल में 32 पत्रकार मारे गए। शाद साहब के मित्र सुशील कुमार ने घोषणा किया कि शाद साहब की स्मृति पर आयोजन के अलावा उनकी जयंती के अवसर पर शाद मेमोरियल लेक्चर का आयोजन होगा। जो प्रत्येक साल 22 जनवरी को होगा। वरिष्ठ रंगकर्मी-पत्रकार अनीश अंकुर ने कहा कि कोरोना के दौर में कई चुनातियाँ रही। इस दौर में कई खबरों को रोक दिया। इस दौरान खूब गलत सूचनाएं दी गयी जिसके चलते समाज में घृणास्पद दौर शुरू हुआ। सीपीआई के नेता अरुण मिश्रा ने कहा कि पत्रकरिता भी वर्ग संघर्ष का हिस्सा है। उससे अलग नहीं है। अखबार मालिक की जिस विषय में दिलचस्पी लेती है उसी तरह की सूचनाओं देने को कहता है। मिश्रा ने शाद साहब को याद करते हुए कहा कि उस दौर में उसने पत्रकरिता आरम्भ किया जब भागलपुर उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा था। सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद ग़ालिब खान को धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि पटना रिपब्लिक को समाज के संकट के दौर में सबसे बड़ा मंच बताया। जहां लोकत्रांतिक बहसें होती है। आज भारत के रिपब्लिक पर खतरा है। शाद को याद रखना है। 

इस अवसर पर बीबीसी से जुड़े पत्रकार सीटू तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार पुष्यमित्र, संजय कुमार, साकेत कुमार, कवि राजेश कमल, सुनील श्रीवास्तव, प्रियांक दीपक, मंजीत, उज्वल, राजेश ठाकुर, बिनीत कुमार, कुणाल, राजेश ठाकुर, जयंत कुशवाहा, तारकेश्वर ओझा, सुस्मित कुमार भीम, आशुतोष कुमार, पत्रकार नीरज प्रियदर्शी, रविशंकर उपाध्यय, बबलू कुमार, फैयाज इक़बाल आदि लोग उपस्थित रहे।

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