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अमित शाह के बिहार दौरे का सारण एमएलसी सच्चिदानंद राय ने किया स्वागत, बीजेपी को फायदे पर जताया संदेह

अमित शाह के बिहार दौरे का सारण एमएलसी सच्चिदानंद राय ने किया स्वागत, बीजेपी को फायदे पर जताया संदेह

PATNA : बिहार में जदयू के एनडीए से अलग होने के बाद अमित शाह का मिशन बिहार शुरू हो चुका है। महज 17 दिनों में अमित शाह बिहार में दूसरी सभा करने जा रहे हैं। अमित शाह का दौरा और जेपी जयंती पर बिहार में सियासत तेज हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बिहार दौरे को लेकर जदयू और भाजपा आमने-सामने है। अमित शाह के दौरे पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि किसी को कहीं आने में रोक नहीं है। लेकिन लोकनायक जयप्रकाश नारायण के गांव सिताब दियारा में जो भी काम हुआ है वो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार में हुआ है। वहीं अमित शाह के सारण दौरे पर जिले के ही एमएलसी सच्चिदानंद राय का बड़ा बयान सामने आया है।  


एमएलसी सच्चिदानंद राय ने कहा कि सारण का एमएलसी होने के नाते देश के गृहमंत्री का सारण में उनका स्वागत करता हूं। मैं तो चाहूंगा कि वो बार-बार आएं, तो सारण की समस्याओं का निदान करें। जयप्रकाश नारायण एक क्रांतिकारी, युगप्रवर्तक नेता थे। ये अलग बात है की उन्होंने जिन-जिन नेताओं पर भरोसा कर कांग्रेस का विरोध किया था, वो लोग आज कांग्रेस के गोद में बैठ गए हैं। उन्हीं के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं। हालांकि मैं समझता हूं की अगर बिहार में बीजेपी का नेतृत्व पार्टी को मजबूत नहीं कर सकता है, तो देश के गृहमंत्री अमित शाह बार-बार बिहार आकर बीजेपी को मजबूत नहीं कर सकते हैं। 

उन्होंने कहा की अमित शाह के पास तो वैसे ही एक हजार समस्याएं हैं, बार्डर संबंधित, कश्मीर संबंधित, बंगाल है, नार्थ इस्ट, मयांमार है। उसके पास कई समस्याएं हैं जिनका समाधान करना है। ऐसे में वो बिहार आकर कैसे बीजेपी को मजबूत कर सकते हैं। जब मैं बीजेपी में था, तो पार्टी के अंदर कहता था कि नीतीश कुमार कभी भी धोखा दे सकते हैं, तो मेरा टिकट ही कांट दिया। लेकिन आज मैं सत्य साबित हो गया। कोई भी दिल्ली से आकर बिहार में बीजेपी को मजबूत बना देगा, मैं इस सोच से सहमत नहीं हूं। 

सच्चिदानंद राय ने कहा की  बिहार में बीजेपी अंदर से कमजोर होती जा रही है। बीजेपी का यहां कोई नेतृत्व नहीं है। जो नेतृत्व विश्वस्नीय था, उसे हासिए पर रख दिया गया है। बिहार में दो डिप्टी सीएम बीजेपी के तरफ से बनाए गए। लेकिन आज उनको ही हासिए पर रख दिया गया। आज नया नेतृत्व उभारने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इसमें वक्त लगता है। बीजेपी 2005 से ही बिहार में सत्ता में थी, तो उसने अच्छा नेतृत्व उभारने की कोशिश नहीं की। 

देबांशु प्रभात की रिपोर्ट 

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