मोतिहारी. सरकार व निगरानी विभाग लगातार भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों पर शिकंजा कसने में जुटी है। पांच माह में लगभग एक दर्जन से अधिक अधिकारियों के यहां निगरानी का रेड पड़ा है। कई अधिकारियों के यहां करोड़ों की संपति जब्त की गयी है। लेकिन उसके बाद भी अधिकारी व कर्मचारी दोनों हाथ से माल बटोरने में पीछे नहीं रह रहे हैं। ताजा मामला मोतिहारी जिला के बनकटवा प्रखण्ड के निमुइया पूर्वी पंचायत का बताया जा रहा है। यहां मनरेगा योजना से बिना पोखरा खोदे ही आधा दर्जन पोखर की राशि निकाल कर मनरेगा कर्मी व जनप्रतिनिधि मलमल हो गए। यहां तक कि खेत वाले को पता भी नहीं है। कागज में ही पोखर खुदाई कर लाखों रुपये भुगतान कर दिये गये।
वहीं जब इसकी भनक ग्रामीणों को लगी तो जनप्रतिनिधियों व मनरेगा विभाग में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में मामला को मैनेज करने के लिए मनरेगा कर्मी व जनपरिनिधियों की एक बैठक की गयी। बैठक में मैनेज का मामला नहीं सुलझा, लेकिन बैठक का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो वायरल होने के बाद लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर बिना पोखर खुदाई के कैसे लाखों रुपये की राशि की निकासी हो गयी। इसकी निष्पक्ष जांच कर दोषी पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं वीडियो वायरल होने पर ग्रामीणों ने एसडीओ को आवेदन देकर जांच की मांग की है।
सूबे के सुशासन बाबू की सरकार में सिस्टम के रहनुमाओं के साथ जनप्रतिनिधियों की जबरदस्त केमिस्ट्री से बनकटवा प्रखंड अंतर्गत निमोईया पूर्वी पंचायत में मनरेगा योजना से होने वाले कार्यों में फर्जीवाडा चरम पर है। माल महाराज का मिर्जा खेले होली की कहावत को चरितार्थ करते हुए कागज़ पर ही करीब आधा दर्जन पोखरों की खुदाई कर लाखों रुपये हजम कर लेने का मामला सामने आया है। मनरेगा कर्मचारी व जनप्रतिनिधि की मिलीभगत से निजी ज़मीन पर पहले से ही खुदे हुए कई वर्ष पुराने तालाब पर योजना का लाभ लेते हुए करीब आधा दर्जन पोखरा की खुदाई कागज़ पर करके लाखों रुपये की अवैध निकासी गैरकानूनी ढंग से गबन करने का मामला प्रकाश में आया है। इसको लेकर शेखौना गांव के शेख इरशाद, अताबुद्दीन और शबाना खातून ने बनकटवा पीओ और सिकरहना एसडीएम को आवेदन देकर जांच कर दोषी पर कार्रवाई की मांग की है।
आवेदन के आधार पर बताया गया है कि आश्चर्यजनक तरीके से घोड़ासहन प्रखंड के महुआही मुर्शिदाबाद व बगही भेलवा पंचायत में पड़ने वाले सरेह में कई वर्ष पूर्वी खुदे हुए तालाब को आनन-फ़ानन में बनकटवा प्रखंड क्षेत्र में दिखाकर एक साथ कई योजनाओं में डालकर गोरख धंधा को अंजाम दिया गया है। एक ही तालाब को तीन लाभुकों क्रमशः नाइमुद्दीन, इरशाद और शेख अलियास के नाम से योजना डालकर कागज़ पर ही पोखरा की खुदाई कर राशि की निकासी कर ली गयी। वहीं असली लाभूक को एक रूपये भी नहीं मिली।
भूस्वामियों की जानकारी के बिना ही फर्जी तरीके से ज़मीन सम्बन्धी कागजात व शपथ-पत्र बनवा लिया गया, जबकि आवेदक अताबुद्दीन व शबाना खातून ने बताया कि उनके नाम से कोई भी ज़मीन नहीं है। वहीं फर्जी हस्ताक्षर कर निकासी करने की बात भी कही गई है। आवेदक ने बताया कि जानकारी होने के बाद फरवरी-2022 के पंचायत समिति की बैठक में मामले को गंभीरता से उठाने के बाद चार वर्षों से जमे पीआरएस द्वारा मामला सलटाने को लेकर दबाव बनाया जाने लगा।
पीआरएस पर आवेदकों को धमकाने, झुठे मुकदमे में फंसाने व योजनाओं से वंचित कर देने का आरोप लगाया गया है। मामले को सलटाने के लिए ग्रामीण के समक्ष जनप्रतिनिधियों व मनरेगा कर्मियों की पंचायत भी बुलाई गई, लेकिन मोलभाव के बाद मामला नहीं जमने से विवाद फिर गहरा गया। वहीं पंचायती का वीडियो वायरल होने के बाद मामला एक बार फिर से गरमा गया है। वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर ग्रामीण वरीय पदाधिकारी से मनरेगा योजना के सभी योजना की धरातलीय जांच कर दोषी पर कड़ी करवाई की मांग की गयी है।