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मोदी सरकार ने तैयार की देश के 142 पिछड़े जिलों की सूची, जिलाधिकारियों को समस्याओं को दूर करने का विशेष निर्देश

मोदी सरकार ने तैयार की देश के 142 पिछड़े जिलों की सूची, जिलाधिकारियों को समस्याओं को दूर करने का विशेष निर्देश

दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को देश के कई जिलों के डीएम से बात की. उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जिलाधिकारियों से बात की और उनसे जमीनी समस्याओं पर बात की. डीएम को संबोधित करते हुए उन्होंने  कहा कि एक तरफ बजट बढ़ता रहा, योजनाएं बनती रहीं, आंकड़ों में आर्थिक विकास भी होता रहा, लेकिन फिर भी आजादी के 75 साल बाद भी देश में कई जिले पीछे ही रह गए. समय के साथ इन जिलों के साथ पिछड़े जिलों का टैग लगा दिया गया.

उन्होंने कहा, जब दूसरों के सपनों को पूरा करना अपनी सफलता का पैमाना बन जाए, तो फिर वो कर्तव्य पथ इतिहास रचता है। आज हम देश के आकांक्षी जिलों में यही इतिहास बनते हुए देख रहे हैं. आज आकांक्षी ज़िले देश के आगे बढ़ने के अवरोध को समाप्त कर रहे हैं। आप सबके प्रयासों से आकांक्षी जिले आज गतिरोधक के बजाय गतिवर्धक बन रहे हैं। जो ज़िले पहले कभी तेज प्रगति करने वाले माने जाते थे,आज कई पैमानों में ये आकांक्षी ज़िले भी अच्छा काम करके दिखा रहे हैं. पिछले 4 सालों में देश के लगभग हर आकांक्षी जिले में जन-धन खातों में 4 से 5 गुना की वृद्धि हुई है। लगभग हर परिवार को शौचालय मिला है, हर गांव तक बिजली पहुंची है और बिजली सिर्फ गरीब के घर में नहीं पहुंची है बल्कि लोगों के जीवन में ऊर्जा का संचार हुआ है.

उन्होंने कहा कि आकांक्षी जिलों में जो लोग रहते हैं, उनमें आगे बढ़ने की तड़प होती है। इन लोगों ने अपने जीवन का अधिकतर समय अभावों में, मुश्किलों में गुजारा है। हर छोटी-छोटी चीजों के लिए उन्होंने परिश्रम किया है इसलिए वो लोग साहस दिखाने के लिए और रिस्क उठाने के लिए तैयार होते हैं. 

डिजिटल इंडिया के रूप में देश एक मौन क्रांति का साक्षी बन रहा है। हमारा कोई भी ज़िला इसमें पीछे नहीं छूटना चाहिए। डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर हमारे हर गांव तक पहुंचे, सेवाओं और सुविधाओं की डोर स्टेप डिलिवरी का जरिया बने, ये बहुत जरूरी है. सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों ने, अलग-अलग विभागों ने ऐसे 142 जिलों की एक लिस्ट तैयार की है। जिन एक-दो पैरामीटर्स पर ये अलग-अलग 142 जिले पीछे हैं, अब वहां पर भी हमें उसी कलेक्टिव अप्रोच के साथ काम करना है, जैसे हम आकांक्षी जिलों में करते हैं.


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