पटना. यूपीएससी द्वारा लेटरल एंट्री के माध्यम से सचिव और निदेशक जैसे पदों पर 45 नियुक्तियों को लेकर जारी विज्ञापन पर केंद्र सरकार ने रोक लगाने का आदेश जारी किया है. कार्मिक मंत्रालय ने मंगलवार को इसे लेकर यूपीएससी को पत्र जारी किया. यूपीएससी ने हाल ही में लैटरल एंट्री के माध्यम से संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव सहित 45 मध्यम स्तर के पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। कई विपक्षी दलों ने इस फैसले का विरोध किया है। इसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजद नेता तेजस्वी यादव जैसे नाम प्रमुख रहे हैं. इतना ही नहीं एनडीए सरकार में शामिल चिराग पासवान भी इस फैसले पर असहमति जता चुके हैं. मोदी सरकार पर इन नियुक्तियों के माध्यम से आरक्षण के प्रावधानों का पालन नहीं करने का आरोप लगाया गया है. इसके बाद अब मोदी सरकार ने विज्ञापन पर रोक लगाने का फैसला लिया है.
यूपीएससी लेटरल भर्ती योजना पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा था कि उनकी पार्टी इस बात से सहमत नहीं है कि इन पदों के लिए विज्ञापन कैसे दिया गया, क्योंकि इसमें आरक्षण को ध्यान में नहीं रखा गया। लोजपा रामविलास के प्रमुख चिराग पासवान, जिनकी पार्टी के पांच सांसद हैं, ने कहा कि उनकी पार्टी इसके पूरी तरह खिलाफ है। चिराग पासवान ने कहा कि पहली बात तो यह है कि सरकार की सोच पूरी तरह आरक्षण के समर्थन में है। प्रधानमंत्री की सोच आरक्षण के समर्थन में है। मेरी पार्टी और मैं इस बात से सहमत नहीं हैं कि कुछ पदों के लिए सीधी भर्ती की मांग की गई है, जिसमें आरक्षण को ध्यान में नहीं रखा गया है, हम इसके पूरी तरह खिलाफ हैं। सरकार का हिस्सा होने के नाते हमने सरकार के उचित मंच पर भी इस चिंता को दर्ज कराया है। उन्होंने आगे कहा कि जहां भी सरकारी नियुक्तियां होती हैं, वहां आरक्षण के प्रावधानों का पालन किया जाना चाहिए।
वहीं बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी इसको लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। तेजस्वी ने अपने सोशल मीडिया पर ट्विट कर 18 बिंदुओं में अपनी बातों को सामने रखा है। साथ ही तेजस्वी यादव पीएम मोदी को लेकर कहा है कि वो चाहते हैं कि दलित, पिछड़े और आदिवासी सचिवालय में नहीं बल्कि शौचालय में बैठे। तेजस्वी यादव ने ट्विट कर कहा कि, दलित, पिछड़े और आदिवासी सचिवालय में नहीं बल्कि शौचालय में बैठे- मोदी सरकार। साथ ही तेजस्वी ने 18 बिंदुओं में अपनी बातों को रखते हुए कहा है कि बीजेपी वाले उच्च सेवाओं में आरएसएस के लोगों को बिना परीक्षा दिए भरना चाहते हैं।
इसके पहले कांग्रेस के राहुल गांधी ने भी लेटरल एंट्री पर रोक लगाने की मांग की थी. उन्होंने इसे आरक्षण के प्रावधानों के खिलाफ बताया था. साथ ही केंद्र की मोदी सरकार पर आरक्षण को खत्म करने की मंशा जाहिर करने वाला बताया है. इस बीच विपक्ष सहित एनडीए के सहयोगी दलों के विरोध को देखते हुए अब केंद्र सरकार ने सम्बंधित विज्ञापन पर रोक लगाने का फैसला लिया है.