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मोदी है तो मुमकीन है यानी वोट की गारंटी, चार राज्यों का चुनाव परिणाम ने साबित किया कि मतदाताओं पर मोदी का मैजिक सर चढ़ कर कैसे बोलता है, पढ़ीए पूरी रिपोर्ट

मोदी है तो मुमकीन है यानी वोट की गारंटी, चार राज्यों का चुनाव परिणाम ने साबित किया कि मतदाताओं पर मोदी का मैजिक सर चढ़ कर कैसे बोलता है, पढ़ीए पूरी रिपोर्ट

PATNA- विधानसभा चुनाव  में भाजपा द्वारा मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में प्रचंड जीत से निर्विवाद तौर पर कहा जा सकता है कि नरेंद्र मोदी के नाम, काम और बयान पर आज भी वोट डलता है. 3 दिसंबर को जब चुनाव परिणाम आये तो तो  तीनों ही राज्य बंपर जीत के साथ बीजेपी की झोली में चले गये.अब गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, सिक्किम, अरुणाचल, असम, त्रिपुरा, मणिपुर में भाजपा का भगवा लहरा रहा है.

दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, कर्नाटक की हार के बाद भाजपा के लिए जरूरी था कि राज्यों में अपनी जीत के समीकरण ठीक करती. आम चुनाव 2024 से पहले राजस्थान, छत्तीसगढ को जीतकर तथा मध्य प्रदेश में मजबूत वापसी करके भाजपा ने राज्यों में अपनी उपस्थिति को मजबूत कर लिया है. इन तीन राज्यों में जीतनेवाले 332 विधायक राज्यसभा में भी उसकी उपस्थिति को अगले पांच साल तक मजबूत बनाकर रखेंगे.शिवराजसिंह चौहान ने गुड गवर्नेंस और जनहित योजनाओं से खुद के खिलाफ नाराजगी या एंटीइंकम्बेंसी का सफलता से मुकाबला किया, लेकिन ये भी उतना बड़ा सच है कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत पूरी तरह से नरेंद्र मोदी और उनके चेहरे पर हुई है.

तीन राज्यों के इतर तेलंगाना में भी भाजपा ने अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन करते हुए 8 सीटें हासिल की हैं. तेलंगाना में भाजपा ने 14 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया है जो राज्य में भाजपा के बेहतर भविष्य का संकेत भी कर रहा है. हालांकि उत्तर के तीन राज्यों में हार का सामना करनेवाली कांग्रेस को तेलंगाना ने संजीवनी प्रदान कर दी है और पार्टी ने 39.5 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 64 सीटें जीत ली हैं जो राज्य की 119 सीटों वाली विधानसभा में पूर्ण बहुमत से चार ज्यादा है.

राजस्थान में 41.70 प्रतिशत वोट शेयर के साथ बीजेपी 115 सीटें जीतने में कामयाब रही जबकि 39.5 प्रतिशत वोट शेयर के बाद भी कांग्रेस 69 सीटों पर सिमट गयी. 200 सीटों वाला राजस्थान ही इकलौता ऐसा राज्य है जहां छोटे दलों और निर्दलियों को भी कुछ सीटें हासिल हुई हैं.  39.5 प्रतिशत वोट शेयर होने के बावजूद त्रिकोणीय संघर्ष में कांग्रेस बहुमत से बहुत दूर रह गयी.राज्य में निर्दलियों और अन्य छोटे दलों को 15 सीटें मिली हैं, जबकि अन्य के खाते में 16 प्रतिशत वोट गया है.

छत्तीसगढ में भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला हुआ . 90 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा ने 54 सीटें जीत ली हैं जबकि कांग्रेस को 36 सीटें मिली हैं. भाजपा को कुल वोटों का 46.2 प्रतिशत तो कांग्रेस को 42.2 प्रतिशत हासिल हुआ है.  

गुजरात और उत्तर प्रदेश के बाद अब मध्य प्रदेश ही ऐसा राज्य बन गया है जहां भाजपा को इतने बंपर वोटों और सीटों से जीत हासिल हुई है. भाजपा को 48.5 प्रतिशत वोट शेयर हासिल हुआ है और उसे राज्य की कुल 230 सीटों में 163 सीटों पर जीत मिली है, पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 109 तो कांग्रेस को 114 सीटें मिली थी. इस बार कांग्रेस घटकर 66 सीटों पर आ गयी.

राजनीतिक पंडितों के अनुसार मोदी के काम और बयान से सहमत-असहमत हो सकते हैं लेकिन इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि वो जब चुनावी सभाओं में भाषण देते हैं उसका असर जनता में होता है, जो वोट में भी तब्दील होता है.

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