डेस्क... सुप्रीम कोर्ट से आए फैसले के बाद भी किसान अपने आंदोलन को लेकर तटस्थ हैं, वो अपनी जगह से पीछे हटने को तैयार ही नहीं हैं। अब इस बार राजनेतओं की बयानबाजी शुरू हो गई है, जहां अब राज्यसभा से भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि दिल्ली में आंदोलनरत किसानों को असली किसान नहीं कहा जा सकता है। कहा कि जो लोग संसद, सर्वोच्च न्यायालय और राष्ट्रीय पर्व की गरिमा को ठेस पहुँचाने पर तुले हैं, वे असली किसान नहीं हो सकते।
ट्वीट कर सांसद ने कहा कि तीनों नये कृषि कानूनों पर अंतरिम रोक लगा कर सुप्रीम कोर्ट ने आंदोलनकारी किसानों का भरोसा जीतने की अब तक की सबसे बड़ी कोशिश की। लेकिन, अराजकता प्रेमी विपक्ष और किसान नेताओं ने कोर्ट की पहल से बनी विशेषज्ञ समिति को मानने से इनकार कर गतिरोध के तिल को पहाड़ बना दिया। वे ट्रैक्टर रैली निकालकर राजधानी में गणतंत्र दिवस की परेड में भी विघ्न डालना चाहते हैं, जबकि यह परेड कभी भाजपा या किसी सत्तारूढ़ दल का कार्यक्रम नहीं रही।
एक अन्य ट्वीट में कहा कि मकर संक्रांति भारत जैसे कृषि प्रधान समाज का ऐसा उत्सव है, जिसे अलग-अलग नाम से देश के हर हिस्से में मनाया जाता है, लेकिन दुर्भाग्यवश इस साल विपक्ष के बहकावे में आए पंजाब-हरियाणा के किसानों के एक वर्ग ने संक्रांति के पहले पंजाब में मनाये जाने वाले लोहड़ी उत्सव का भी राजनीतिक दुरुपयोग किया।
तीनों नये कृषि कानूनों पर अंतरिम रोक लगा कर सुप्रीम कोर्ट ने आंदोलनकारी किसानों का भरोसा जीतने की अब तक की सबसे बड़ी कोशिश की, लेकिन अराजकता-प्रेमी विपक्ष और किसान नेताओं ने कोर्ट की पहल से बनी विशेषज्ञ समिति को मानने से इनकार कर गतिरोध के तिल को पहाड़ बना दिया।
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) January 14, 2021
वे ट्रैक्टर रैली निकाल कर राजधानी में गणतंत्र दिवस की परेड में भी विघ्न डालना चाहते हैं, जबकि यह परेड कभी भाजपा या किसी सत्तारूढ़ दल का कार्यक्रम नहीं रही।
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) January 14, 2021
जो लोग संसद, सर्वोच्च न्यायालय और राष्ट्रीय पर्व की गरिमा को ठेस पहुँचाने पर तुले हैं, वे असली किसान नहीं हो सकते।
वे ट्रैक्टर रैली निकाल कर राजधानी में गणतंत्र दिवस की परेड में भी विघ्न डालना चाहते हैं, जबकि यह परेड कभी भाजपा या किसी सत्तारूढ़ दल का कार्यक्रम नहीं रही।
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) January 14, 2021
जो लोग संसद, सर्वोच्च न्यायालय और राष्ट्रीय पर्व की गरिमा को ठेस पहुँचाने पर तुले हैं, वे असली किसान नहीं हो सकते।