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किशनगंज में क्या इस बार दिखेगा मोदी लहर का असर? सीमांचल के मुस्लिम बहुल सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला, जान लीजिए यहां का राजनीतिक समीकरण

किशनगंज में क्या इस बार दिखेगा मोदी लहर का असर?  सीमांचल के मुस्लिम बहुल सीट पर  त्रिकोणीय मुकाबला, जान लीजिए यहां का राजनीतिक समीकरण

किशनगंज/पटना: कभी कृष्णाकुंज कहा जाने वाला किशनगंज सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला जिला हैं. पिछले तीन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार ने यहां जीतने की हैट्रिक लगाई है. लोकसभा चुनाव 2009, 2014 में कांग्रेस से असरारुल हक कासमी चुनाव जीते थे तो  लोकसभा सांसद रहने के दौरान असरारुल हक कासमी की मौत हो जाने के बाद किशनगंज के विधायक डॉ. मो. जावेद आजाद को यह सीट मिली. लोकसभा चुनाव 2019 में देश भर में मोदी लहर के बावजूद डॉ. मो. जावेद आजाद ने बिहार के सीमांचल में कांग्रेस के गढ़ को बरकार रखा.

एमआईएमआईएम की इंट्री

 सीमांचल के सबसे चर्चित किशगनंज लोकसभा क्षेत्र में एमआईएमआईएम चीफ और असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री के बावजूद कांग्रेस का गढ़ छीना नहीं जा सका. साल 2019 में उनका उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहा था. हालांकि, ओवैसी लोकसभा चुनाव 2024 में भी इस सीट पर किस्मत आजमाने की कोशिश में जुटे हैं.

तीन मुस्लिम उम्मीदवार

किशनगंज को मुस्लिम बहुल इलाकों माना जाता है और यहां 68% मुस्लिम और 32% अन्य  वोटर है  इसलिए सभी पार्टियां यहां मुस्लिम कार्ड खेलने से नही चूकते है.  बता दे की यहां मुख्य रूप से मैदान में तीन उम्मीदवार है और तीनो उम्मीदवार मुस्लिम है.

त्रिकोणीय मुकाबले

 जेडीयू से मुजाहिद आलम, एआईएमआईएम से अख्तरूल ईमाम को टिकट दिया गया है और कांग्रेस से  आधिकारिक घोषणा तो नही हुई है लेकिन मौजूदा सांसद  डॉ मो. जावेद आजाद की उम्मीदवार बनाया का सकता है .सभी मुस्लिम कैंडिडेट है इसलिए यहां के 68% मुस्लिम वोटरों का बिखराव होना तय है. ऐसे में 32% वोटर बड़ा खेल कर सकता है लेकिन देखने वाली बात होगी कि इस त्रिकोणीय मुकाबले में कौन बाजी मरता है .


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