बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

तेजस्वी की मुखालफत क्यों कर रहे हैं मुकेश सहनी, लालू के सामने क्या चल पाएगा सीट के लिए प्रेशर पॉलिटिक्स का खेल

तेजस्वी की मुखालफत क्यों कर रहे हैं मुकेश सहनी, लालू के सामने क्या चल पाएगा सीट के लिए प्रेशर पॉलिटिक्स का खेल

पटना : बिहार विधानसभा को लेकर चुनावी अखाड़ा तैयार हो चुका है. रानतीजिक गुणा गणित के साथ साथ अब प्रेशर पॉलिटिक्स का खेला भी चालू हो चुका है. सत्ता की कुर्सी मिले ना मिले लेकिन उसके गलियारे में आवाजाही लगी रहे इसके लिए अब नेता अपने वफादार वाली छवि से बाहर आने की भी तैयारी करने लगे हैं. मांझी महागठबंधन से नाता तोड़ अब नीतीश कुमार के सिपाही बने गए हैं तो इधर अब मुकेश सहनी को भी सीएम नीतीश कुमार के फैसले अच्छे लगने लगे हैं.

सहनी का नए पैंतरे से महागठबंधन दो फाड़

 अनुसूचित जाति एवं जनजाति  के व्यक्ति की हत्या होने पर स्वजन को सरकारी नौकरी देने के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसले ने महागठबंधन के दलों को दो खेमे में बांट दिया है. आरजेडी और रालोसपा के लिए यह महज चुनावी स्टंट है.  जबकि मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को सीएम नीतीश का फैसला रास आ रहा है. पार्टी ने इस फैसले का स्वागत किया है.  पार्टी चीफ अध्यक्ष मुकेश सहनी ने कहा है कि हम नीतीश सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं. पार्टी ने यह मांग तक कर दी  कि अत्यन्त पिछड़ी जातियों को भी इसका लाभ मिले, क्योंकि अत्यंत पिछड़ी जातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति भी एससी-एसटी जैसी ही है.

तेजस्वी की मुखालत क्यों कर रहे हैं सहनी
सीएम नीतीश के अनुसूचित जाति एवं जनजाति  के व्यक्ति की हत्या होने पर परिवार को सरकारी नौकरी देने की घोषणा को लेकर बकायदा तेजस्वी यादव ने पीसी कर सीएम नीतीश पर हमला किया था.तेजस्वी यादव ने यहां तक कहा था कि ऐसी घोषणा अगड़ों के लिए क्यों नहीं करते सीएम साथ ही इस फैसले को लेकर नेता प्रतिपक्ष ने कहा था कि यह फैसला सीएम के दोहरे चरित्र को दिखाता है. महागठबंधन की ही सहयोगी रालोसपा भी इस घोषणा को लेकर सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ में अपना स्टैंड क्लीयर कर दिया है. फिर आखिर सहनी तेजस्वी से अलग लाइन क्यों ले रहे हैं? सहनी का यह बयान महागठबंधन की लाइन से बिल्कुल उलट है. ऐसे में सियासी अटकल बाजी भी तेज हो गई है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मांझी के जाने के बाद सहनी अब ज्यादा सीटों पर दावेदारी करना चाहते हैं. सहनी ने 25 सीटों की डिमांड भी की है लेकिन वीआईपी चीफ अच्छी तरह जानते हैं कि लालू यादव 25 सीट पर नहीं मानेंगे. लिहाजा सहनी दलित और पिछड़ों के पक्ष में खड़े होकर सीएम नीतीश के बयान का समर्थन कर प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे हैं. लेकिन सहनी के इस सियासी खेल का उन्हें कितना फायदा होगा वो तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
 

Suggested News