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छपरा के गुदरी बाजार में चला नगर निगम का बुलडोजर, 60 साल से अवैध कब्जा जमाए कब्जेदारों से कराया गया मुक्त

छपरा के गुदरी बाजार में चला नगर निगम का बुलडोजर, 60 साल से अवैध कब्जा जमाए कब्जेदारों से कराया गया मुक्त

CHAPRA: छपरा नगर प्रशासन ने नगर निगम के जमीन पर कब्जा जमाए अवैध कब्जेदारों के खिलाफ ठोस कार्रवाई शुरू कर दी है। कार्रवाई के पहले चरण में नगर निगम के अधिकारियों की टीम भारी भरकम पुलिस फौज के साथ शहर के गुदरी बाजार में पहुंची और यहां पर लगभग 60 साल से कब्जा जमाए कब्जेदार से निगम की जमीन को मुक्त कराया। निगम प्रशासन की इस कार्रवाई से व्यवसाईयों में हड़कंप मच गया है। जो भी अवैध कब्जा जमाए हुए थे वह अपना छज्जा और सीढी हटाने में लगे हुए थे। नगर निगम के अधिकारियों की मानें तो गुजरी बाजार मस्जिद के पास नगर निगम की अपनी जमीन है जिस पर कई सालों से अवैध कब्जा किया गया था पहले चरण में इस अवैध कब्जे को मुक्त कराया गया है।

निगम की जमीन कब्जा करने की मची है होड़ 

पिछले 50 सालों की बात करें तो अब तक नगर निगम की 12 बीघे से भी अधिक जमीन को आम लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। सबसे बड़ी बात है कि जमीन कब्जाने की जो तरकीब है उसे जानने के बाद आप हैरत में पड़ जाएंगे। जमीन कब जाने और नगर निगम की संपत्ति को लूटाने में राजस्व कर्मी और अफसरों के हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि बिना उनकी मदद के नगर निगम हर मुकदमे में हार नहीं सकता था और कब्जाने वालों की जीत नहीं हो सकती थी, हर बार नगर निगम बैकफुट पर आता दिखा है। लेकिन इस बार नगर आयुक्त ने अपना कड़ा  रुख दिखाया है और अतिक्रमणकार्यों को बैक फुट पर जाने को विवश कर दिया है

गुदरी मार्केट के 60 फ़ीसदी लीज के जमीन को बेचा अथवा किया हस्तांतरित

नगर निगम को सर्वाधिक राजस्व देने वाले गुदरी बाजार के 60 फ़ीसदी से अधिक जमीन और दुकान को बेचने या फिर हस्तांतरित करने का भी मामला सामने आ रहा है यह सभी जमीन लीज पर आधारित है. नगर निगम ने 99 साल के लीज पर दुकानदारों या फिर किरायेदारों को दिया था नियमानुसार लीज धारी के मरने के साथ ही जमीन पुनः नगर निगम को चला जाता है लेकिन यहां अलग ही खेल हो रहा है लीज धारी के मरने के बाद उनके संतान अथवा संबंधी दूसरे के हाथों बेच दे रहे हैं या फिर हस्तांतरित कर दे रहे हैं इसमें 2000000 से लेकर ₹700000 तक का गेम हो रहा है और हर साल करोड़ों का नुकसान नगर निगम को हो रहा है.

लीज की जमीन और 5 दुकानों को बेचने का भी मामला सामने आया

नगर निगम क्षेत्र के गुदरी बाजार में लीज पर ली गई जमीन को दूसरे के हाथों बेचने का मामला सामने आया है। इस जमीन पर पांच दुकानें बनी हुई हैं। 2013 में भी यह मामला सामने आया था। जिसके बाद तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी ने मामले की जांच कर खरीदने व बेचने वालों पर मुकदमा दर्ज कराने की बात कही थी। उस समय दुकानों में किराये पर रह रहे दुकानदारों ने मुख्य पार्षद व कार्यपालक पदाधिकारी को आवदेन देकर कार्रवाई की मांग की थी। 9 साल बाद एक बार फिर यह मामला गरमाया। मामले ने तब तुल पकड़ा है। जब नगर निगम के नगर आयुक्त के द्वारा ही दुकान खाली करने का आदेश तक जारी कर दिया। आदेश के तहत 26 अक्टूबर को दुकान को सील कर दिया गया। 

छपरा शहर में इन स्थानों पर है कब्जा व विवाद

सलेमपुर शिल्पी पोखरा के पास, राजेंद्र कॉलेज मोड के पास, गुदरी बाजार मस्जिद के पास, श्याम चौक पानी टंकी के पास, सलापत गंज पानी टंकी दलित बस्ती के पास, नई बाजार के कई मोहल्ले, शहर के चार स्लॉटर हाउस, शिव महल व सरकारी बाजार के पास, मौन नीम  से नेहरू चौक जाने वाले रास्ते में, राजेंद्र कॉलेज के पास बैलखाना सराय, बेसिक स्कूल के आसपास, गुदरी बाजार मछली हटा के आसपास, तेलपा और रोजा के इलाके में कई जगह, नगर निगम के अन्य सरकारी उपयोग की जमीन

यह है जमीन कब्जाने का नयाब तरीका

सरकारी जमीन को हथियाने का एक नायाब तरीका वर्षों से चला रहा है। इसमें नगर पालिका को किसी तरह की कोई जानकारी नहीं होती और उसके जमीन पर दो लोग आपस में मुकदमे बाजी कर लेते हैं। मुकदमा बाजी करने वाले लोग आपस में संबंधी  ही होते हैं। नगर पालिका को इस बात की तब जानकारी मिलती है जब उन दोनों लोगों में से किसी एक के पक्ष में कोर्ट फैसला दे देती है। इस बीच नगर पालिका के राजस्व कर्मी रसीद तक काट देते हैं और नगरपालिका को जानकारी तक नहीं होती। जब मामला नक्शा पास कराने की होती है तब जाकर नगरपालिका को जानकारी होती है और ऐसे  में नक्शा या तो रद्द कर दिया जाता है या फिर अधिकारियों और राजस्वकर्मियों की मिलीभगत से पास हो जाता है। इस तरह के कई उदाहरण शहर में मौजूद है कुछ पर मुकदमा चल रहा है तो कुछ पर कब्जा हो चुका है और नगरपालिका असहाय बनी हुई है। शहर के गुदरी बाजार में ऐसा ही एक मामला है जमीन 4 कट्ठा के आसपास है और पहले या जमीन एक पूर्व के नगर पालिका के चेयरमैन ने कब्जा किया था। उसी जमीन पर एक दूसरे पक्ष ने पूर्व चेयरमैन के खिलाफ मुकदमा कर दिया और अपने पक्ष में एक्स पार्टी डिग्री भी करा ली। जब जीते हुए पक्ष ने नक्शा पास कराने के लिए नगर पालिका में आवेदन दिया तो नगरपालिका की आंखें खुली की खुली रह गई। तुरंत इस पर जांच बैठा और पता चला कि यह तो नगर पालिका की जमीन है नक्शा को रद्द कर दिया गया। यह तो महज उदाहरण भर है जा चुकी तक कई चौंकाने वाले मामले सामने आएंगे। इसी स्थान से अतिक्रमण को हटाया गया है।  इस तरह के मामलों को देखा जा रहा है। अभी तक 3 मामले सामने आए हैं। तीनों मामलों में कार्रवाई की जा रही है। एक मामले में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पूरी कर ली गई है. जल्द ही निगम के अन्य जमीनों को भी कब्जा मुक्त कराया जाएगा.

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